बिजनेसPosted at: Jan 16 2019 8:13PM माइक्रोवेव स्पेक्ट्रम आवंटन सही : सिन्हानयी दिल्ली 16 जनवरी (वार्ता) संचार मंत्री मनोज सिन्हा ने वर्ष 2015 में रिलायंस जियो और एमटीएस को माइक्रोवेव स्पेक्ट्रम आवंटन में धांधली के आरोपों को खारिज करते हुये बुधवार को कहा कि इसमें कोई गड़बड़ी नहीं हुयी है और ये आवंटन ट्राई के विचारों के आधार पर किया गया था। श्री सिन्हा ने कहा कि उच्चतम न्यायालय ने वर्ष 2012 में एस्सेस स्पेक्ट्रम पर अपना आदेश था और शीर्ष न्यायालय ने बैकहाॅल स्पेक्ट्रम के लिए कुछ नहीं कहा था। उच्चतम न्यायालय के आदेश से पहले या बाद में प्रशासनिक तरीके से स्पेक्ट्रम का आवंटन किया गया। उन्होंने कहा कि ट्राई ने इस संबंध में सुझाव दिया था और उसी के अनुरूप दूरसंचार विभाग ने वर्ष 2015 में नीति जारी किया था। कांग्रेस ने इस आवंटन में नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) के रिपोर्ट का हवाला देते हुये इस आवंटन का निष्पक्ष जांच कराने की मांग की है। इसमें कहा गया है कि बैकहाॅल स्पेक्ट्रम का आवंटन पहले आयो पहले पाओ के आधार पर आवंटन किया गया था और इसके लिए नीलामी प्रक्रिया को नहीं अपनाया गया था। श्री सिन्हा ने कहा कि मोदी सरकार का इस नीति को रद्द करने की कोई योजना नहीं है। उन्होंने इस नीति पर्याप्त सुरक्षात्मक उपाय किये जाने का हवाला देते हुये कहा कि इसमें टेलीकॉम सेवा प्रदाताअें को स्पेक्ट्रम हासिल करने की तिथि से भुगतान करने की सुविधा दी है। संचार मंत्री ने कहा कि उनके विभाग ने कैग को इस संबंध में स्पष्ट कर दिया था कि इससे कोई नुकसान नहीं हुआ है। उन्होंने कहा कि पूरी प्रक्रिया पारदर्शी थी और योग्य आवेदकों को वेबसाइट के माध्यम से जानकारी दी गयी थी। इस स्पेक्ट्रम के लिए सिर्फ दो आवेदकों ने आवेदन किये और उन्हें इसका आवंटन किया गया। स्पेक्ट्रम देयता के लिए अधिक समय दिये जाने का उन्होंने पुरजोर तरीके से बचाव करते हुये कहा कि भारी वित्तीय बोझ से दबे इस उद्योग को सहयोग के लिए सरकार ने य छूट दी थी और प्रस्तावित 16 वर्षाें में इससे 365357.30 करोड़ रुपये की आय होगी जबकि 10 वर्षाें में इससे 290951.22 करोड़ रुपये का राजस्व मिलने वाला था। शेखर सचिनवार्ता