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संयुक्त राष्ट्र ने भी बढाया भारत का विकास अनुमान

नयी दिल्ली 23 जनवरी (वार्ता) विश्व बैंक और अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के बाद संयुक्त राष्ट्र ने भी भारत का विकास अनुमान बढ़ा दिया है। उसने चालू वर्ष के लिए विकास अनुमान 0.2 प्रतिशत बढ़कर 7.4 प्रतिशत और अगले वर्ष के लिए 7.4 प्रतिशत से बढ़ाकर 7.6 प्रतिशत कर दिया है।
संयुक्त राष्ट्र ने ‘विश्व आर्थिक स्थिति एवं परिदृश्य 2019’ नामक इस रिपोर्ट में हालाँकि रोजगार सृजन और रोजगार की गुणवत्ता की स्थिति पर चिंता व्यक्त की है।
संयुक्त राष्ट्र के आर्थिक एवं सामाजिक आयोग एशिया -प्रशांत के प्रमुख डॉ नागेश कुमार ने आज यहाँ रिपोर्ट जारी करते हुये कहा कि वैश्विक आर्थिक विकास असंतुलित है और अक्सर जहाँ सबसे अधिक इसकी जरूरत है, वहाँ यह नहीं है। अफ्रीका, पश्चिम एशिया, लातिन अमेरिका और कैरेबियाई देशों में प्रति व्यक्ति आय 2019 में या तो स्थिर रहेगी या इसमें मामूली तेजी आयेगी। वर्ष 2030 तक गरीबी उन्मूलन के लक्ष्य की प्राप्ति के लिये अफ्रीका में दहाई अंकों में विकास दर में बढोतरी और आमदनी की असमानता में भारी कमी की जरूरत है।
इस साल अब तक तीन प्रमुख वैश्विक संगठन विश्व बैंक, आईएमएफ और संयुक्त राष्ट्र ने वैश्विक विकास पर अपनी रिपोर्ट जारी की है। तीनों ने भारत को दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था बने रहने का अनुमान व्यक्त किया है। हालाँकि, तीनों के अनुमान अलग-अलग हैं। विश्व बैंक और आईएमएफ ने चालू वित्त वर्ष में विकास दर 7.3 प्रतिशत रहने की बात कही है जबकि संयुक्त राष्ट्र ने इसके 7.4 प्रतिशत रहने का अनुमान व्यक्त किया है। अगले वित्त वर्ष के लिए विश्व बैंक और आईएमएफ का अनुमान 7.5 प्रतिशत और संयुक्त राष्ट्र का 7.6 प्रतिशत है।
रिपोर्ट में वर्ष 2020 में भारत के विकास दर के सुस्त पड़कर 7.4 प्रतिशत रह जाने का अभी अनुमान किया गया है। इसमें चीन की विकास दर में लगातार गिरावट की बात कही गयी है। रिपोर्ट में कहा गया है कि उसकी विकास दर 2018 में 6.6 प्रतिशत, 2019 में 6.3 प्रतिशत और 2020 में 6.2 प्रतिशत रहेगी।
रिपोर्ट में भारत के बारे में कहा गया है “मजबूत निजी उपभोग, विस्तारवादी मौद्रिक रुख तथा पूर्व में किये गये सुधारों के लाभ की वजह से आर्थिक विकास को गति मिल रही है। इसके बावजूद मध्यम अवधि में विकास की रफ्तार और बढ़ाने के लिए निजी निवेश में मजबूत तथा सतत सुधार एक महत्त्वपूर्ण चुनौती है।”
रोजगार के मोर्चे पर भारत की स्थिति पर चिंता व्यक्त की गयी है। संयुक्त राष्ट्र ने कहा है “औपचारिक क्षेत्र में रोजगार सृजन की रफ्तार कम रही है। इससे बड़ी संख्या में कामगार या तो आंशिक बेरोजगारी का शिकार हैं या बेहद कम वेतन पर काम करने के लिए मजबूर हैं। खासकर युवाओं के लिए स्थिति काफी चिंताजनक है। अच्छे पढ़े-लिखे युवाओं को औपचारिक क्षेत्र में रोजगार ढूँढ़ने में परेशानी होती है और उन्हें अंत में अनौपचारिक क्षेत्र में कम वेतन वाली नौकरी करनी पड़ती है।”
अर्चना
वार्ता
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