Thursday, Apr 18 2024 | Time 16:27 Hrs(IST)
image
बिजनेस


डीबीटी के माध्यम से हो रही उर्वरकों की कालाबाजारी

नयी दिल्ली 28 जनवरी (वार्ता) सरकार ने यूरिया तथा अन्य सब्सिडी वाले उर्वरकों की कालाबाजारी रोकने के लिए इसमें प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (डीबीटी) की व्यवस्था की थी, लेकिन अब डीलर उसी व्यवस्था की कमजोरी का लाभ उठाकर कालाबाजारी कर रहे हैं।
जायद यानी ग्रीष्मकालीन फसलों पर पिछले सप्ताह यहाँ आयोजित राष्ट्रीय कृषि सम्मेलन के दौरान उत्तर प्रदेश के कृषि निदेशक सोराज सिंह ने केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री पुरुषोत्तम रूपाला की मौजूदगी में यह मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा, “डीबीटी विफल हो चुका है। कालाबाजारी के कारण राज्य में यूरिया की कृत्रिम कमी पैदा हो गयी है।”
श्री रूपाला ने उद्घाटन सत्र समाप्त होने के तुरंत बाद श्री सिंह को अलग कमरे में बुलाकर उनसे कुछ बात की। श्री सिंह ने यूनीवार्ता को बताया कि मंत्री ने उन्हें समस्या के समाधान का आश्वासन दिया है। उन्होंने बताया कि वास्तव में राज्य में यूरिया की कमी नहीं है। यह कालाबाजारियों द्वारा पैदा की गयी कृत्रिम कमी है। आम तौर पर जरूरत से कुछ ज्यादा यूरिया की बोरियाँ स्टॉक में रखने की परंपरा रही है, लेकिन इस समय यह अतिरिक्त स्टॉक नहीं होने से दिक्कत आ रही है।
श्री सिंह ने कहा “एक-एक किसान के नाम पर 900 बोरियाँ तक यूरिया जारी करने के मामले सामने आये हैं। दरअसल किसान जब अँगूठा लगाकर अपने बायोमीट्रिक निशान देता है तो उसे तो वही 10 या 20 बोरियाँ मिलती हैं जिसके वह पैसे देता है, लेकिन उसके नाम के आगे डीलर अपनी मर्जी से सैकड़ों बोरियों की एंट्री कर देता है।”
उल्लेखनीय है कि उर्वरक की सब्सिडी सीधे लाभार्थी के खाते में आने की बजाय कंपनी के खाते में जाते हैं और किसान को सब्सिडी वाली दर पर ही खरीद करनी होती है। इस प्रकार डीलर 10 बोरी की सब्सिडी देकर 900 बोरी की सब्सिडी ले लेता है।
कृषि निदेशक ने कहा कि यदि पैसे सीधे लाभार्थी के खाते में भेजे जायें तो यह घोटाला रुक सकता है। इससे उर्वरक की कालाबाजारी भी रुकेगी क्योंकि डीलरों को कालाबाजारी के लिए उर्वरक की बोरियाँ ही नहीं मिलेंगी।
उत्तर प्रदेश कृषि विभाग के एक अन्य अधिकारी ने बताया कि नेटवर्क की समस्या के कारण किसानों को उर्वरक खरीदने में परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। कई बार किसान अँगूठा लगाते रहते हैं, लेकिन देर-देर तक बायोमीट्रिक का मिलान नहीं हो पाता। इससे पीछे लंबी लाइन लग जाती है और उन्हें घंटों इंतजार करना होता है।
अजीत अर्चना
वार्ता
image