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राजस्थान की जेलाें में बंद कैदियों की बुनी कालीन लेकर बाजार में उतरा जयपुर रग्स

नयी दिल्ली 26 जनवरी (वार्ता) कालीन के ब्रांड जयपुर रग्स ने गणतंत्र दिवस के मौके पर आज अपनी नयी रेंज ‘मनचाहा’ बाजार में उतारी। इन कालीनों की खास बात है कि इन कालीनों को राजस्थान की विभिन्न जेलों में बंद कैदियों ने बुना है।
जयपुर रग्स के संस्थापक एन के चौधरी के मुताबिक जयपुर रग्स का मुख्य उद्देश्य सामाजिक नवप्रवर्तक के रूप में कारीगरों के काम को बढ़ावा देकर उन्हें रोजगार के अवसर प्रदान करना है। इसका मुख्य उद्देश्य ग्रामीण समाज का उत्थान करना है। जयपुर रग्स जयपुर सेंट्रल जेल, बीकानेर सेंट्रल जेल और दौसा सेंट्रल जेल में करीब 100 कैदियों के साथ काम कर रहा है, ताकि उन्हें कालीन बुनाई की कला सिखाकर सार्थक काम मिल सके।
श्री चौधरी ने कहा कि अपराध गरीबी और अशिक्षा के साथ चलता है और कारावास कैदियों के परिवारों के जीवन को और भी कठिन बना देता है, खासकर अगर वह एकमात्र कमाने वाला सदस्य है। इस विनाशकारी चक्र को बदलने का एक तरीका आर्थिक सशक्तिकरण है। इसलिए जयपुर रग्स को लगता है कि कल्पना करने की क्षमता प्रेरणा देती है।
इस संदर्भ में जयपुर सेंट्रल जेल के अधीक्षक राकेश मोहन कहते हैं कि जयपुर रग्स और जेल प्रशासन द्वारा इस अभिनव पहल की बहुत आवश्यकता थी। इसके माध्यम से, जेल के कैदियों को गलीचा बुनाई और उत्पादन में प्रशिक्षित किया जाता है और उनके प्रयासों को विश्व स्तर पर सराहना मिलती है, जिससे सुधार का मार्ग प्रशस्त होता है। इस पहल से होने वाली कमाई कैदियों के परिवारों की मदद करती है। इसके अतिरिक्त, अर्जित आय का 25 प्रतिशत पीड़ित परिवारों को जाता है।
अर्चना
वार्ता
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