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बुनियादी सुधारों के दौर से गुजर रहा है भारत का खनन क्षेत्र: सुमित देब

नयी दिल्ली, 12 अगस्त (वार्ता) राष्ट्रीय खनिज विकास निगम (एनएमडीसी) के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक तथा भारतीय वाणिज्य एवं उद्योग महासंघ (फिक्की) की खनन समिति के अध्यक्ष सुमित देब ने कहा है कि देश के खनन क्षेत्र में कारोबार का वातावरण सुगम बनाने के अलावा खनिजों के उत्पादन में आत्मनिर्भरता का लक्ष्य हासिल करने के लिए नीतिगत सुधारों के साथ राष्ट्र एक बेहतर एवं आदर्श बदलाव के दौर से गुजर रहा है।
श्री देब ने शुक्रवार को यहां संवाददाताओं से बातचीत में कहा कि उद्योग, केंद्र और राज्यों सहित सभी संबंधित एवं प्रासंगिक हितधारकों के बीच सहयोग महत्वपूर्ण है और 23-24 अगस्त को यहां होने वाली सम्मेलन आपसी सहयोग और आगे की योजना को मजबूत करने के लिए एक सशक्त मंच के रूप में काम करेगा।
उन्होंने कहा कि आसान और कुशल निर्णय हमारी नीति बनाने में महत्वपूर्ण रहे हैं और नीति निर्माण को और आसान बनाने तथा समयबद्ध एवं विवेकपूर्ण तरीके से मंजूरी प्राप्त करने में मदद करने के लिए मानदंड तैयार किये जा रहे हैं। उन्होंने बताया कि आयोजन का मुख्य उद्देश्य ‘विजन 2047’ के लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए खनिज और धातु क्षेत्र के भविष्य के रोडमैप पर विचार-विमर्श करना है। इसमें उद्योग, नीति और शिक्षा जगत के वक्ताओं द्वारा प्रमुखता से भाग लिया जाएगा। वैश्विक और घरेलू उत्पादक, खनिज संगठन, नीति निर्माता, खान उपकरण निर्माता, वैश्विक कंपनियों के कंट्री हेड, केंद्र और राज्य सरकार के अधिकारी और अन्य लोग कॉन्फ्रेंस में उपस्थित होंगे और अलग-अलग विषयों पर अपने विचार रखेंगे।
श्री देब ने बताया कि देश में मौजूद खनिज संसाधनों के विशाल आधार और विकसित और आसान व्यापार और नियामक वातावरण को देखते हुए कई प्रमुख अंतरराष्ट्रीय कंपनियां भी घरेलू कंपनियों के साथ-साथ देश की खदानों और खनिज उद्योग में काफी अधिक दिलचस्पी दिखा रहे हैं।
एनएमडीसी के निदेशक (उत्पादन) डी के मोहंती ने कहा कि देश आत्मनिर्भरता के लिए निरंतर प्रयास कर रहा है और आयात पर निर्भरता को कम करने के लिए लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। खान और खनिज उद्योग विकास के लिए भारत की भविष्य की योजनाओं में एक प्रमुख भूमिका निभाएंगे क्योंकि देश को ‘आत्मनिर्भर भारत’ में बदलने के लक्ष्य को जल्द से जल्द प्राप्त करना है।
फिक्की की उप-महासचिव ज्योति विज ने कहा कि खान और खनिज क्षेत्र सरकार की निर्णय लेने की प्रक्रिया के मूल में है और सरकार का लक्ष्य है कि घरेलू संसाधनों का अधिकतम उपयोग प्राप्त करना है, जिससे रोजगार को भी बढ़ावा मिलेगा और देश के विभिन्न हिस्सों में तेजी से आर्थिक विकास होगा। आगामी कॉन्फ्रेंस में नए युग के खनिजों, डिजिटलीकरण और ऑटोमेशन और अन्य तकनीकी इनोवेशंस पर भी विचार-विमर्श होगा। इस दौरान कई नये संबंधित विषयों पर बातचीत की जाएगी। कॉन्फ्रेंस खनिजों और धातुओं के लिए वैश्विक वस्तु बाजार को समझने में सक्षम होगा, खनिज विकास और आर्थिक विकास के बीच अंतर-संबंध को उजागर करेगा, अंतरराष्ट्रीय बाजारों में ऐसा घटनाक्रम जो भारतीय खनिजों और धातु उद्योग को प्रभावित कर सकता है और भारतीय खनिजों और धातु उद्योग में अन्य अवसरों की पहचान कर सकता है।उन्होंने कहा कि भारत विविध खनिजों से संपन्न देश है और ईंधन,परमाणु,धातु,गैर-धातु और लघु खनिजों सहित 95 खनिजों का उत्पादन करता है।
सुश्री विज ने कहा कि काफी क्षेत्रों में अभी तक महत्वपूर्ण खनिज संसाधनों का अभी तक खनन नहीं होने, नये खनिजों की खोज में कई तरह की कमियों को दूर करते हुए खनन कंपनियों के पास देश को देने के लिए बहुत कुछ है। इसके अलावा, शहरीकरण की तीव्र गति के साथ, यह उम्मीद की जाती है कि विशेष रूप से बुनियादी ढांचे और विनिर्माण क्षेत्रों से खनिज और धातुओं की मांग में आने वाले सालों में भी लगातार वृद्धि होगी। उन्होंने कहा कि घरेलू खनन उद्याेग मांग और आपूर्ति संतुलन स्थापित करने में सहयोग कर देश को पांच हजार अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था के लक्ष्य की दिशा में बड़ा योगदान दे सकता है।
श्रवण.मनोहर
वार्ता
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