बिजनेसPosted at: Aug 13 2022 6:13PM वर्ष 2035 तक शत-प्रतिशत दोपहिया विद्युत वाहनों के होने से बचेगा 50 करोड़ टन पेट्रोलनयी दिल्ली, 13 अगस्त (वार्ता) इंटरनेशनल काउंसिल फॉर क्लीन ट्रांसपोर्टेशन (आईसीसीटी) की शोधकर्ता शिखा रोकड़िया ने कहा कि देश में वर्ष 2035 तक नये बिकने वाले दो पहिया वाहन 100 प्रतिशत इलेक्ट्रिक हो जाएं तो वर्ष 2020-50 के बीच पेट्रोल की मांग में 50 करोड़ टन और इससे संबंधित लागत में 740 अरब डॉलर से ज्यादा की कमी आ सकती है। द एनर्जी एंड रिसोर्सेज इंस्टीट्यूट (टेरी) और आईसीसीटी की गुरुवार को जारी एक संयुक्त बयान में कहा गया कि देश में पिछले कुछ वर्षों में विद्युत दोपहिया वाहनों की मांग बढ़ने से इलेक्ट्रिक परिवहन के विस्तार के प्रयास में गति मिली है। नीति आयोग और टेक्नोलॉजी इन्फॉर्मेशन, फोरकास्टिंग एंड असेसमेंट काउंसिल (टीआईएफएसी) की एक रिपोर्ट के अनुसार वित्त वर्ष 2026-27 तक देश में 100 प्रतिशत दोपहिया इलेक्ट्रिक हो जाने की संभावना है।आईसीसीटी के भारत उत्सर्जन मॉडल के अनुमानों के मुताबिक वर्ष 2021 में सड़क परिवहन में हुई कुल पेट्रोल की खपत और कुल पेट्रोलियम की खपत में दोपहिया वाहनों का हिस्सा क्रमशः 70 प्रतिशत और 25 प्रतिशत था। देश में अगर पेट्रोल से चलने वाले दोपहिया वाहनों को ही बढ़ाते रहे तो वर्ष 2050 तक जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता दोगुने से भी अधिक हो जाएगी।सुश्री रोकड़िया ने कहा, “ वर्ष 2035 तक नए बिकने वाले 100 प्रतिशत दोपहिया वाहनों को इलेक्ट्रिक कर लिया जाए, तो भारत में 2020 से 2050 के बीच पेट्रोल की मांग में 500 मिलियन टन (एमटीओई) से ज्यादा और इससे संबंधित लागत में 740 अरब डॉलर से ज्यादा की कमी आ सकती है। प्रदूषण के लिहाज से देखें तो भारत ने पिछले दशक में बीएस-6 उत्सर्जन मानक अपनाने समेत नीतिगत मोर्चे पर कुछ अहम कदम उठाए हैं। इससे वायु प्रदूषण में होने वाली वृद्धि को काफी हद तक कम किया जा सका है। ”टेरी के सीनियर विजिटिंग फेलो आई. वी. राव ने कहा, “ दोपहिया के मामले में तेजी से ईवी की ओर कदम बढ़ने से पेट्रोल की मांग पर व्यापक प्रभाव पड़ेगा, जिससे निश्चित तौर पर आयात पर निर्भरता एवं उत्सर्जन कम होगा। इस सेगमेंट में ज्यादा ईवी के होने से उपभोक्ता का खर्च कम होने के साथ-साथ पर्यावरण एवं वायु की गुणवत्ता पर भी उल्लेखनीय सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। ”अभिषेक.श्रवण वार्ता