नयी दिल्ली, 28 अगस्त (वार्ता) उद्योग एवं वाणिज्य संगठन एसोचैम और रियल इस्टेट कंपनी जेएलएल के एक संयुक्त अध्ययन में देश में अावास की कमी की समस्या से निपटने के लिए सरकार को विभिन्न नीतियों का विलय करने की कोशिश करने का सुझाव दिया गया है । यह सुझाव ‘अफोर्डेबल हाउसिंग फायनेंस इन इंडिया’ में दिया गया है। इस अध्ययन में कहा गया, “समाज के सबसे निचले हिस्से के लोगों को ध्यान में रखकर शुरू की गयी योजना ‘प्रधानमंत्री जन धन योजना’ के तहत घर बनाने के खाताधारक को वित्तीय मदद दी जानी चाहिए ताकि सीधे उनकी मदद की जा सके।” एसोचैम ने कहा कि आर्थिक तौर पर कमजोर तबका (ईडब्ल्यूएस) और कम आय वाले समूह (एलआईजी) श्रेणियों को कागजातों की कमी, उच्च ब्याज दर, ऋण नहीं चुकाये जाने का खतरा, जमानतदार की अनुपलब्धता आदि कारणों से सामान्यत: ऋण नहीं मिल पाता है। इस श्रेणी के लोगों की पूरे साल भर की कमायी इतनी नहीं हो पाती जो ऋण वापसी को सुनिश्चित कर सके। अध्ययन में इसके आगे किफायती आवास की कमी की समस्या पर कहा गया कि जमीन का खर्च एवं उपलब्धता, किफायती आवास की परिभाषा की व्यावहारिकता, जटिल नियामकीय प्रक्रिया आदि किफायती आवास के विकास की राह में लगातार चुनौती रहे हैं। सुभाष.श्रवण जारी (वार्ता)