बिजनेसPosted at: Jun 27 2017 4:03PM एनआईवी के साथ मिलकर जीका, डेंगू और चिकनगुनिया की दवा खोजेगी सनफार्मा
मुंबई 27 जून (वार्ता) दवा क्षेत्र की प्रमुख भारतीय कंपनी सनफार्मा ने आज बताया कि उसने जीका, डेंगू और चिकनगुनिया की दवा खोजने के लिए नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी (एनआईवी) के साथ एक समझौता किया है। महाराष्ट्र के पुणे स्थित एनआईवी भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद् का संस्थान है। समझौते के तहत इन बीमारियों के लिए दवाओं के अणुओं का विकास सनफार्मा करेगी तथा एनआईवी उनका परीक्षण करेगा। जिस अणु के आँकड़े उत्साहजनक होंगे उसका दवा के रूप में वाणिज्यिक विकास किया जायेगा। उसने बताया कि ये तीनों बीमारियाँ वायरस के कारण होती हैं और पिछले एक दशक में इनका प्रकोप तेजी से बढ़ा है। ये उष्ण कटिबंधीय तथा उपोषण कटिबंधीय क्षेत्रों में तेजी से फैलती हैं। प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है कि ये बीमारियाँ एडिस मच्छर के काटने से होती हैं। जीका और चिकनगुनिया आपस में संबद्ध भी हैं। ये जन स्वास्थ्य के लिए बड़ा खतरा हैं क्योंकि इनके लिए अब तक कोई टीका या विशेष दवा अथवा उपचार उपलब्ध नहीं है। इन बीमारियों की बजाय सिर्फ इनके लक्षणों का इलाज किया जाता है। एनआईवी के निदेशक डॉ. देवेंद्र मौर्या ने सन फार्मा के साथ समझौते पर कहा “डेंगू और चिकनगुनिया अन्य उष्ण कटिबंधीय तथा उपोष्ण कटिबंधीय देशों की तरह भारत में भी बड़ी जन स्वास्थ्य समस्या हैं। हाल के समय में जीका वायरस के तेजी से फैलने के कारण एडिस मच्छर से फैलने वाली खतरनाक बीमारियों की सूची में एक और नाम जुड़ गया है। दुर्भाग्यवश, अभी भी इनके लिए कोई एंटीवायरल या टीका उपलब्ध नहीं है। सन फार्मा के साथ हमारे समझौते लक्ष्य इसी अपूर्ण जरूरत के लिए समाधान तलाशना है।” अजीत/मधूलिका वार्ता