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मनोरंजन


मनोरंजन-ताराचंद युगपुरूष दो मुंबई

15 अगस्त 1947 को जब भारत स्वतंत्र हुआ तो इसी दिन उन्होंने ..राजश्री.. नाम से वितरण संस्था की शुरूआत की । वितरण व्यवसाय के लिये उन्होंने जो पहली फिल्म खरीदी वह थी ..चंद्रलेखा .. । जैमिनी स्टूडियो के बैनर तले बनी यह फिल्म काफी सुपरहिट हुयी जिससे उन्हें काफी पायदा हुआ। इसके बाद वह जैमिनी के स्थायी वितरक बन गये।
इसके बाद ताराचंद ने दक्षिण भारत के कई अन्य निर्माताओं को हिन्दी फिल्म बनाने के लिये भी प्रेरित किया । ए.भी.एम .अंजली .वीनस .पक्षी राज और प्रसाद प्रोडक्शन जैसी फिल्म निर्माण संस्थाये उनके ही सहयोग से हिन्दी फिल्म निर्माण की ओर अग्रसर हुयी और बाद में काफी सफल भी हुयी।
इसके बाद ताराचंद फिल्म प्रदर्शन के क्षेत्र से भी जुड़ गये जिससे उन्हें काफी फायदा हुआ। उन्होंने कई शहरों मे सिनेमा हॉल का निर्माण किया । फिल्म वितरण के साथ-साथ ताराचंद का यह सपना भी था कि वह छोटे बजट की पारिवारिक फिल्मों का निर्माण भी करें ।
वर्ष 1962 में प्रदर्शित फिल्म ..आरती .. के जरिये उन्होने फिल्म निर्माण के क्षेत्र में भी कदम रख दिया ।फिल्म आरती की सफलता के बाद बतौर निर्माता वह फिल्म इंडस्ट्री में स्थापित हो गये। इस फिल्म से जुड़ा रोचक तथ्य है कि इस फिल्म के लिये अभिनेता संजीव कुमार ने स्क्रीन टेस्ट दिया जिसमें वह पास नही हो सके थे।
प्रेम सतीश
जारी वार्ता
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