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पर्यटन के नक्शे में अब तक नदारद है दुनिया में इकलौता पांच नदियों का संगम

पर्यटन के नक्शे में अब तक नदारद है दुनिया में इकलौता पांच नदियों का संगम

इटावा , 14 मार्च (वार्ता) पर्यटन के जरिये राजस्व में बढोत्तरी और रोजगार सृजन की संभावनाओं को तलाशती उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार की नजर पिछली सरकारों की तरह प्राकृतिक सुंदरता से भरपूर चंबल के बीहड़ों में स्थित पांच नदियों के अदभुद संगम पर संभवत: नहीं पड़ी है।

पांच नदियों का यह संगम उत्तर प्रदेश में इटावा जिला मुख्यालय से 70 किमी दूर बिठौली गांव में है जहां पर कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश और राजस्थान राज्य के लाखों की तादाद में श्रद्धालुओं का जमावडा लगता है । सारे विश्व में इटावा का पंचनद ही एक स्थल है,जहां पर पाचं नदियों का संगम हैं,ये नदियां हैं यमुना, चंबल, क्वारी, सिंधु और पहुज ।

दुनिया में दो नदियों के संगम तो कई स्थानों पर है जबकि तीन नदियों के दुर्लभ संगम प्रयागराज,इलाहबाद को धार्मिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण समझा जाता है लेकिन आश्चर्य की बात यह है कि पांच नदियों के इस संगम स्थल को त्रिवेणी जैसा धार्मिक महत्व नहीं मिल पाया है । प्रयाग का त्रिवेणी संगम पूर्णतः धार्मिक मान्यता पर आधारित है क्यो कि धर्मग्रन्थों में वहां पर गंगा,यमुना के अलावा अदृश्य सरस्वती नदी को भी स्वीकारा गया है,यह माना जाता है कि कभी सतह पर बहने वाली सरस्वती नदी अब भूमिगत हो चली है। बहराहल तीसरी काल्पनिक नदी को मान्यता देते हुये त्रिवेणी संगम का जितना महत्व है उतना साक्षात पांच नदियों के संगम को प्राप्त नहीं हैं ।

खूखांर डाकुओ की शरणस्थली चंबल घाटी मे दुनिया का इकलौता पांच नदियो का संगम स्थल है लेकिन अर्से से सरकारी उपेक्षा का शिकार पंचनदा को देश का सबसे बडा पर्यटन केंद्र बनवाने के लिये चंबल के वाशिंदे अर्से से राजनेताओ से लगातार गुहार लगाते रहे है ।

उत्तर प्रदेश समाजवादी पार्टी अनसूचित जाति जनजाति प्रकोष्ठ के पूर्व उपाध्यक्ष भूपेंद्र कुमार दिवाकर पंचनदा को पर्यटक स्थल मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से बनाने की मांग करते हुए कहते है कि इस इलाके का वैसे तो बहुत ही महत्व है लेकिन खूखांर डाकुओ के प्रभाव के कारण अभी तक सरकारो की ओर से इस ओर कोई ध्यान नही दिया गया है । इसी वजह से इस दुर्गम इलाके के लोग मूल विकास से अब तब वचिंत रहे है ।

चकरनगर की ब्लाक प्रमुख श्रीमती सुनीला यादव बताती है कि पांच नदियो के दुलर्भ स्थल का वैसे तो अपने आप मे खासा महत्व है लेकिन अगर उत्तर प्रदेश सरकार पंचनदा को पर्यटन केंद्र के तौर पर स्थापित कराती है तो इससे बेहतर कोई दूसरी बात नही हो सकती है क्यो कि यह इलाका एक अर्से से डाकुओ के प्रभाव के कारण विकास से वंचित रहा है।

पांच नदियो का यह स्थल महाभारत कालीन सभ्यता से भी जुडा हुआ माना जाता है क्यो कि यहा पर पांडवो ने अज्ञातवास इसी इलाके मे बिताया था । पांडवो के यहा पर अज्ञातवास बिताने के प्रमाण भी मिलते है । महाभारत मे जिस बकासुर नामक राक्षस का ज्रिक किया जाता है उसे भीम ने इस इलाके के एक ऐतिहासिक कुये मे मार करके डाला था।

करीब 800 ईसा पूर्व पंचनदा संगम पर बने महाकालेश्वर मंदिर पर साधु-संतो का जमाबाड़ा लगा रहता है । मन में आस्था लिए लाखों श्रद्धालु कालेश्वर के दर्शन से पहले संगम में डुबकी अवश्य लगाते हैं । यह वह देव शनि है जहां भगवान विष्णु ने महेश्वरी की पूजा कर सुदर्शन चक्र हासिल किया था । इस देव शनि पर पांडु पुत्रों को कालेश्वर ने प्रकट होकर दर्शन दिए थे । इसीलिए हरिद्वार, बनारस, इलाहाबाद छोड़कर पचनदा पर कालेश्वर के दर्शन के लिए साधु-संतो की भीड़ जुटती है ।

इसे दुर्भाग्य ही कहा जाएगा कि इतने पावन स्थान को यदि उस प्रकार से लोकप्रियता हासिल नहीं हुई जिस प्रकार से अन्य तीर्थस्थलियों को ख्याति मिली तो इसके लिए यहां का भौगोलिक क्षेत्र कसूरवार है । पंचनद के एक प्राचीन मंदिर को बाबा मुकुंदवन की तपस्थली भी माना जाता है ।

जनश्रुति के अनुसार संवत 1636 के आसपास भादों की अंधेरी रात में यमुना नदी के माध्यम से गोस्वामी तुलसीदास कंजौसा घाट पहुंचे थे और उन्होंने मध्यधार से ही पानी पिलाने की आवाज लगाई थी, जिसे सुनकर बाबा मुकुंदवन ने कमंडल में पानी लेकर यमुना की तेज धार पर चल कर गोस्वामी तुलसीदास को पानी पिलाकर तृप्त किया था।

पचंनद पर बांध निर्माण की सबसे पहली योजना 1986 में बनी थी लेकिन हकीकत मे इस पर कोई प्रगति नही हो सकी । मौजूदा समय तक उक्त स्थान को पर्यटक स्थल बनाने का कोई प्रस्ताव पास नहीं हो सका है। जिसके चलते क्षेत्रीय जनता सरकार से खासी नाराज दिखाई दे रही है। इस संबंध में सेंचुरी अधिकारी व एक्स स्टेट के उत्तराधिकारी राजा ने भी प्रस्ताव न होने की बात को स्वीकार किया है।

बीहड़ तहसील क्षेत्र चकरनगर में यमुना नदी किनारे ऐतिहासिक भारेश्वर मंदिर भरेह व यमुना, चंबल, क्वारी, सिंध व पहूच पांच नदियों का संगम महाकालेश्वर पचनद अपनी सुंदरता के लिये बखूब जाना जाता है और उक्त दोनों ही ऐतिहासिक देव स्थान अपनी सिद्धि के लिये प्रसिद्ध भी है। उक्त देव स्थानों पर पांडवों द्वारा अज्ञात वास काटा गया और भगवान शंकर की पूजा आराधना करने के भी उल्लेख है। पर्यटक स्थल बनने से बीहड़ क्षेत्र में बेरोजगार घूम रहे हजारों नौजवानों को रोजगार का मौका मिलेगा और दूर दराज से क्षेत्र में पहुंचने बाले सैलानियों को बनावटी की जगह प्राकृतिक सुदंरता देखने को मिलेगी।

चंबल सेंचुरी रेंजर गिरजेश तिवारी बताते है कि फिलहाल पचनद को पर्यटक स्थल बनाने का कोई प्रस्ताव नहीं है और कब होगा इस बात की भी कोई जांनकारी नहीं है । भरेह के प्रधान और भरेह स्टेट से जुडे हुए लाल हेमरूद्व सिंह कहते है कि पर्यटक स्थल बनने के संबंध में मुझे कोई जांनकारी नहीं है, न ही मेरे पास कोई टीम आई।

वार्ता

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