मुंबई, 20 अक्टूबर (वार्ता) शिव सेना के सांसद संजय राउत ने अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण के लिए शीघ्र कानून बनाने की आज मांग की,
श्री राउत ने राम मंदिर के संबंध में अखिल भारतीय मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी की टिप्पणी की निंदा करते हुए उन्हें हैदराबाद की सीमा मे ही रहने की सलाह दी।
शिवसेना के सांसद संजय राउत ने कहा है कि सरकार को संसद में कानून बनाकर अयोध्या में राम मंदिर बनाए जाने का रास्ता साफ करना चाहिए। श्री राउत ने कहा कि अगर अभी राम मंदिर के लिए कानून न लाया गया तो फिर आगे कभी भी मंदिर नहीं बन पाएगा। आज सरकार के पास बहुमत है। 2019 के चुनाव के बाद क्या स्थिति होगी, इस पर हम कुछ नहीं कह सकते।
श्री राउत ने कहा कि उच्चतम न्यायालय राम मंदिर विवाद का हल नहीं निकाल सकता क्योंकि ये आस्था का मामला है। श्री राउत ने कहा कि अयोध्या में राम मंदिर बनाने के लिए कानून लाना राजनीतिक इच्छा शक्ति का काम है। वह समझते हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ऐसा कर सकते हैं।
राम मंदिर अयोध्या में बनेगा न कि हैदराबाद, पाकिस्तान या ईरान में। औवेसी जैसे लोग मुस्लिम समुदाय का इस्तेमाल करके अपनी राजनीति चमका रहे हैं। इससे पहले शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे भी राम मंदिर बनाने के लिए और इंतजार न कर पाने की बात कह चुके हैं।
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गोरखपुर में लोगों से कहा था कि उन्हें अब राम मंदिर के निर्माण के लिए तैयारी शुरू कर देनी चाहिए। इससे पहले राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत केंद्र सरकार से मांग कर चुके हैं कि कानून लाकर मंदिर बनाया जाए क्योंकि इसमें अब और देर नहीं की जा सकती है।
श्री राउत ने 14 अक्टूबर को शिव सेना के मुखपत्र सामना में कहा था कि केन्द्र सरकार से कहा था कि राम मंदिर निर्माण का काम विवादित स्थान पर शुरू होना चाहिए। यदि मुसलमान राम मंदिर निर्माण के लिए अनुमति देते हैं तो हमेशा के लिए वोट बैंक की राजनीति समाप्त हो जायेगी।
उन्होंने कहा कि राम मंदिर के निर्माण से दंगा होगा, ऐसा सोचना गलत है। सरकार कानून बनाये और मंदिर का काम शुरू करे, कुछ नहीं होगा।
श्री राउत ने कहा कि कुछ मुसलमान नेता राम मंदिर के निर्माण के समर्थन में हैं। श्री राउत ने कहा कि न्यायालय के बाहर मामले को सुलझाना चाहिए।
उच्चतम न्यायालय में राम मंदिर का मामला लंबित है और 29 अक्टूबर को अगली सुनवाई होगी।
त्रिपाठी.श्रवण
वार्ता