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वर्ष 1973 में कमल हासन को दक्षिण भारत के जाने-माने फिल्मकार के. बालचंद्र की फिल्म “अरंगेतरम” में काम करने का अवसर मिला। वर्ष 1975 में प्रदर्शित फिल्म “अपूर्वा रंगानगल” मुख्य अभिनेता के रूप में उनको सिने कैरियर की पहली हिट साबित हुयी। वर्ष 1977 में प्रदर्शित फिल्म “16 भयानिथनिले” की व्यावसायिक सफलता के बाद कमल हासन स्टार कलाकार बन गये।
वर्ष 1981 में कमल हासन ने हिंदी फिल्मों की ओर भी अपना रुख कर लिया और निर्माता एल. प्रसाद की फिल्म “एक दूजे के लिये” में अभिनय किया। वर्ष 1982 में कमल हासन की एक और सुपरहिट तमिल फिल्म “मुंदरम पिरई रिलीज” हुयी जिसके लिये वह अपने सिने कैरियर में पहली बार सर्वश्रेष्ठ अभिनेता के राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किये गये। बाद में वर्ष 1983 में “सदमा” शीर्षक से यह फिल्म हिंदी में भी रिलीज हुई।
वर्ष 1985 में कमल हासन को रमेश सिप्पी की फिल्म “सागर” में ऋषि कपूर और डिंपल कपाडिया के साथ काम करने का अवसर मिला। आर. डी. बर्मन के सुपरहिट संगीत और अच्छी पटकथा के बावजूद यह फिल्म टिकट खिड़की पर असफल साबित हुयी लेकिन कमल हासन के अभिनय को दर्शकों ने खूब सराहा। इस फिल्म में अपने दमदार अभिनय के लिए उन्हें सर्वश्रेष्ठ अभिनेता के फिल्म फेयर पुरस्कार से सम्मानित किया गया। वर्ष 1985 में कमल हासन की एक और सुपरहिट फिल्म “गिरफ्तार” प्रदर्शित हुयी। जिसमें उन्हें सुपरस्टार अमिताभ बच्चन के साथ काम करने का अवसर मिला। वर्ष 1987 कमल हासन के सिने कैरियर का अहम वर्ष साबित हुआ। इस वर्ष उन्होंने एक मूक फिल्म “पुष्पक” में सशक्त अभिनय से दर्शकों को अचंभित कर दिया।
वर्ष 1987 में ही उनको मणिरत्नम की फिल्म “नायकन” में भी काम करने का मौका मिला। फिल्म में वेलू नायकर के किरदार को कमल हासन ने जीवंत कर अपना नाम भारत के महान अभिनेताओं में शुमार करा दिया। कमल हासन “नायकन” के लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेता के राष्ट्रीय पुरस्कार से भी नवाजे गये। वर्ष 1990 में प्रदर्शित फिल्म “अप्पू राजा” में उन्होंने अपने दमदार अभिनय से दर्शकों का दिल जीत लिया। इस फिल्म में यूं तो उन्होंने तीन अलग-अलग भूमिकाएं कीं लेकिन ऊंची कद काठी के रहते हुये भी उन्होंने जिस तरह तीन फुट के बौने के रूप में अपने आप को ढ़ाला उससे दर्शक अचंभित हो गये।
प्रेम, उप्रेती
जारी वार्ता
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