Tuesday, Apr 23 2024 | Time 20:00 Hrs(IST)
image
राज्य » गुजरात / महाराष्ट्र


मनोहर बर्वे स्टेज के कार्यक्रम को भी संचालित किया करते थे। उनके साथ रोशन ने देश भर में हो रहे स्टेज कार्यक्रमों में हिस्सा लेना शुरू कर दिया। मंच पर जाकर मनोहर बर्वे जब कहते कि अब वह आपके सामने देश का सबसे बडा गवइयां पेश करने जा रहा हैं तो रोशन मायूस हो जाते , क्योंकि गवइयां शब्द उन्हें पसंद नहीं था। उन दिनों तक रोशन यह तय नही कर पा रहे थे कि गायक बना जाये या फिर संगीतकार।
कुछ समय के बाद रोशन घर छोड़कर लखनऊ चले गये और मॉरिस कालेज ऑफ म्यूजिक में प्रधानाध्यापक रतन जानकर से संगीत सीखने लगे। लगभग पांच वर्ष तक संगीत की शिक्षा लेने के बाद वह मैहर चले आये और उस्ताद अल्लाउदीन खान से संगीत की शिक्षा लेने लगे। एक दिन अल्लाउदीन खान ने रोशन से पूछा “ तुम दिन में कितने घंटे रियाज करते हो।” रोशन ने गर्व के साथ कहा , “ दिन में दो घंटे और शाम को दो घंटे।” यह सुनकर अल्लाउदीन खान बोले कि यदि वह पूरे दिन में आठ घंटे रियाज नही कर सकते हो तो अपना बोरिया बिस्तर उठा कर यहां से जा सकते हैं। रोशन को यह बात चुभ गयी और उन्होंने लगन के साथ रियाज करना शुरू कर दिया। शीघ्र ही उनकी मेहनत रंग आई और उन्होंने सुर के उतार चढ़ाव की बारीकियों को सीख लिया।
इन सबके बीच रोशन ने बुंदु खान से सांरगी की शिक्षा भी ली। रोशन ने वर्ष 1940 में आकाशवाणी केंद्र दिल्ली में बतौर संगीतकार अपने कैरियर की शुरुआत की। बाद में उन्होंने आकाशवाणी से प्रसारित कई कार्यक्रमों में बतौर हाउस कम्पोजर भी काम किया। वर्ष 1949 में फिल्मी संगीतकार बनने का सपना लेकर रोशन दिल्ली से मुंबई आ गये। इस मायानगरी में एक वर्ष तक संघर्ष करने के बाद उनकी मुलाकात जाने माने निर्माता निर्देशक केदार शर्मा से हुयी। रोशन के संगीत बनाने के अंदाज से प्रभावित केदार शर्मा ने उन्हें अपनी फिल्म ‘नेकी और बदी’ में बतौर संगीतकार काम करने का मौका दिया।
प्रेम जितेन्द्र
जारी वार्ता
image