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संवाद अदायगी के बेताज बादशाह हैं शत्रुध्न सिन्हा

..जन्मदिवस नौ दिसंबर के अवसर पर ..
मुंबई 08 दिसंबर (वार्ता) बतौर खलनायक अपने करियर का आगाज कर अपने आक्रमक अंदाज .विद्रोही तेवर और संवाद अदायगी के दम पर शत्रुध्न सिन्हा ने दर्शको को इस कदर दीवाना बनाया कि नायक की तुलना में उन्हें अधिक वाहवाही मिलती ।यह फिल्म इंडस्ट्री के इतिहास में पहला मौका था जब किसी खलनायक के पर्दे पर आने पर दर्शकों की ताली और सीटियां बजने लगती थी ।
सत्तर के दशक में जब शत्रुध्न ने फिल्म इंडट्री में कदम रखा तो बतौर अभिनेता काम पाने के लिये वह स्टूडियों दर स्टूडियों भटकते रहे । वह जहां भी जाते उन्हें खरी खोटी सुननी पड़ती । कुछ फिल्मकारों ने उनसे कहा आपका चेहरा मोहरा फिल्म इंडस्ट्री के लिये उपयुक्त नही है यदि आप चाहे तो बतौर खलनायक आपको फिल्मों में काम मिल सकता है।
शत्रुध्न तो एक बार यहां तक सोंच लिया कि मुंबई में रहने से अच्छा है कि अपने घर पटना लौट जाया जाये । बाद में शत्रुध्न ने बतौर खलनायक ही फिल्म इंडस्ट्री में अपनी पहचान बनाने के लिये संघर्ष करना शुरू कर दिया । जल्द ही उनकी मेहनत रंग लाई और अपने रोबदार व्यक्तिव और संवाद अदायगी के जरिये शत्रुध्न ने दर्शकों को अपनी ओर आकर्षित कर लिया । शत्रुध्न की लोकप्रियता का अंदाज इस बात से लगाया जा सकता है कि फिल्म में उनके हिस्से में महज दो या तीन सीन ही रहते लेकिन इन सीनों मे जब कभी वह दिखाई देते तो अपनी संवाद अदायगी और तेवर से नायक की तुलना में कहीं भारी पड़ते ।
प्रेम टंडन
जारी वार्ता
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