राज्य » गुजरात / महाराष्ट्रPosted at: Jan 26 2019 12:32PM मनोरंजन-अजित संघर्ष दो अंतिम मुंबईवर्ष 1973 अजित के सिने कैरियर का अहम पड़ाव साबित हुआ। उस वर्ष उनकी जंजीर, यादों की बारात, समझौता,कहानी किस्मत की और जुगनू जैसी फिल्में प्रदर्शित हुयीं जिन्होंने बाक्स आफिस पर सफलता के नये कीर्तिमान स्थापित किये। इन फिल्मों की सफलता के बाद अजित ने उन ऊचाइयों को छू लिया जिसके लिये वह अपने सपनों के शहर मुंबई आये थे। अजित के पसंद के किरदार की बात करें तो उन्होंने सबसे पहले अपना मनपसंद और कभी भुलाया नहीं जा सकने वाला किरदार निर्माता निर्देशक सुभाष घई की 1976 मे प्रदर्शित फिल्म कालीचरण में निभाया। फिल्म ,,कालीचरण,, में उनका निभाया किरदार ,,लायन,, तो उनके नाम का पर्याय ही बन गया था।फिल्म में उनका संवाद ,,सारा शहर मुझे लायन के नाम से जानता है ,, आज भी बहुत लोकप्रिय है और गाहे- बगाहे लोग इसे बोलचाल में इस्तेमाल करते हैं। इसके अलावा उनके ,, लिली डोंट बी सिली,, और मोना डार्लिग जैसे संवाद भी सिने प्रेमियों के बीच काफी लोकप्रिय हुये। फिल्म ,,कालीचरण ,,की कामयाबी के बाद अजित के सिने कैरियर में जबरदस्त परिवर्तन आया और वह खलनायकी की दुनिया के बेताज बादशाह बन गये। इसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा और अपने दमदार अभिनय से दर्शकों की वाहवाही लूटते रहे।खलनायक की प्रतिभा के निखार में नायक की प्रतिभा बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है, इसी कारण अभिनेता धर्मेन्द्र के साथ अजित के निभाये किरदार अधिक प्रभावी रहे। उन्होंने धमेन्द्र के साथ यादों की बारात, जुगनू प्रतिज्ञा, चरस, आजाद, राम बलराम, रजिया सुल्तान और राज तिलक जैसी अनेक कामयाब फिल्मों में काम किया। नब्बे के दशक में अजित ने स्वास्थ्य खराब रहने के कारण फिल्मों मे काम करना कुछ कम कर दिया। इस दौरान उन्होंने जिगर, शक्तिमान, आदमी, आतिश,आ गले लग जा और बेताज बादशाह जैसी कई फिल्मों में अपनी अभिनय से दर्शकों का मनोरंजन किया। संवाद अदायगी के बेताज बादशाह अजित ने करीब चार दशक के फिल्मी कैरियर में लगभग 200 फिल्मों में अपने अभिनय का जौहर दिखाया और 22 अक्टूबर 1998 को इस दुनिया से रूखसत हो गये।प्रेम.श्रवण वार्ता