राज्य » गुजरात / महाराष्ट्रPosted at: Feb 17 2019 1:37PM संगीतकार नहीं , अभिनेता बनने के इच्छुक थे खय्याम..जन्मदिन 18 फरवरी के अवसर पर ..मुंबई 17 फरवरी (वार्ता) करीब पांच दशकों से अपनी मधुर धुनों के जरिए श्रोताओं को दीवाना बनाए रखने वाले बॉलीवुड के जाने-माने संगीतकार खय्याम संगीतकार नहीं बल्कि अभिनेता बनना चाहते थे। खय्याम मूल नाम मोहम्मद जहूर खय्याम हाशमी का जन्म अविभाजित पंजाब में नवांशहर जिले के राहोन गांव में 18 फरवरी 1927 को हुआ था । बचपन के दिनों से हीं खय्याम का रूझान गीत-संगीत की ओर था और वह फिल्मों में काम कर शोहरत की बुलदियो तक पहुंचना चाहते थे । खय्याम अक्सर अपने घर से भागकर फिल्म देखने शहर चले जाया करते थे । उनकी इस आदत से उनके घर वाले काफी परेशान रहा करते थे । खय्याम की उम्र जब महज 10 वर्ष की थी तब वह बतौर अभिनेता बनने का सपना संजाेये अपने घर से भागकर अपने चाचा के घर दिल्ली आ गये । खय्याम के चाचा ने उनका दाखिला स्कूल में करा दिया लेकिन गीत-संगीत और फिल्मों के प्रति उनके आर्कषण को देखते हुये उन्होंने खय्याम को संगीत सीखने की अनुमति दे दी । खय्याम ने संगीत की अपनी प्रारंभिक शिक्षा पंडित अमरनाथ और पंडित हुस्नलाल-भगतराम से हासिल की। इस बीच उनकी मुलातात पाकिस्तान के मशहूर संगीतकार जी.एस.चिश्ती से हुयी। जी.एस चिश्ती ने खय्याम को अपनीरचित एक धुन सुनाई और खय्याम से उस धुन के मुखड़े को गाने को कहा । खय्याम की लयबद्ध आवाज को सुन जी.एस.चिश्ती ने खय्याम को अपने सहायक के तौर पर अनुबंधित कर लिया । लगभग छह महीने तक जी.एस.चिश्ती के साथ काम करने के बाद खय्याम वर्ष 1943 में लुधियाना वापस आ गए और उन्होंने काम की तलाश शुरू कर दी। द्वितीय विश्व युद्ध का समय था और सेना में जोर.शोर से भर्तियां की जा रही थीं। खय्याम सेना मे भर्ती हो गये। सेना में वह दो साल रहे। खय्याम एक बार फिर चिश्ती बाबा के साथ जुड़ गये। बाबा चिश्ती से संगीत की बारीकियां सीखने के बाद खय्याम अभिनेता बनने के इरादे से मुम्बई आ गए । वर्ष 1948 में उन्हें बतौर अभिनेता एस. डी.नारंग की फिल्म ‘ ये है जिंदगी ’ में काम करने का मौका मिला लेकिन इसके बाद बतौर अभिनेता उन्हें किसी फिल्म में काम करने का मौका नही मिला। इस बीच खय्याम बुल्लो सी.रानी अजित खान के सहायक संगीतकार के तौर पर काम करने लगे ।प्रेम टंडनजारी वार्ता