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भारतीय सिनेमा जगत के युगपुष थे बी.आर. चोपड़ा

..जन्मदिवस 22 अप्रैल के अवसर पर ..
मुम्बई 21 अप्रैल (वार्ता) भारतीय सिनेमा जगत में बी.आर.चोपड़ा को एक ऐसे फिल्मकार के रूप में याद किया जायेगा जिन्होंने पारिवारिक, सामाजिक और साफ-सुथरी फिल्में बनाकर लगभग पांच दशक तक सिने प्रेमियों के दिलो-दिमाग में
अपनी खास जगह बनायी।
बाइस अप्रैल 1914 को पंजाब के लुधियाना शहर में जन्मे बी आर चोपड़ा उर्फ बलदेव राय चोपडा बचपन के दिनों से ही फिल्म में काम करके शोहरत की बुलंदियों पर पहुंचना चाहते थे। बी.आर.चोपड़ा ने अंग्रेजी साहित्य में अपनी स्नातकोत्तर की शिक्षा लाहौर के मशहूर गवर्नमेंट कालेज में पूरी की। बी.आर.चोपड़ा ने अपने कैरियर की शुरूआत बतौर फिल्म पत्रकार के रूप में की। फिल्मी पत्रिका ..सिने हेराल्ड.. में वह फिल्मों की समीक्षा लिखा करते थे। वर्ष 1949 में फिल्म ..करवट.. से उन्होंने फिल्म निर्माण के क्षेत्र में कदम रखा लेकिन दुर्भाग्य से यह फिल्म बॉक्स ऑफिस पर बुरी तरह असफल हो गयी। वर्ष 1951 में अशोक कुमार अभिनीत फिल्म ..अफसाना ..को बी.आर.चोपड़ा ने निर्देशित किया। फिल्म ने बॉक्स ऑफिस पर अपनी सिल्वर जुबली:25 सप्ताह:पूरी की। इस फिल्म की सफलता के बाद बी.आर. चोपडा फिल्म इंडस्ट्री में अपनी पहचान बनाने में सफल हो गये।
वर्ष 1955 में बी.आर.चोपडा ने ..बी.आर.फिल्मस ..बैनर का निर्माण किया। बी.आर.फिल्मस के बैनर तले उन्होंने सबसे पहले फिल्म ..नया दौर .. का निर्माण किया। फिल्म नया दौर के माध्यम से बी.आर.चोपडा ने आधुनिक युग और ग्रामीण संस्कृति के बीच टकराव को रूपहले पर्दे पर पेश किया जो दर्शकों को काफी पसंद आया। फिल्म ..नया दौर .. ने सफलता के नये कीर्तिमान स्थापित किये। बी.आर.चोपड़ा के बैनर तले निर्मित फिल्मों पर यदि एक नजर डालें तो उनकी निर्मित फिल्में समाज को संदेश देने वाली होती थीं। बी.आर.चोपड़ा अपने दर्शकों को हर बार कुछ नया देना चाहते थे। इसी को देखते हुये वर्ष 1960 में उन्होंने कानून जैसी प्रयोगात्मक फिल्म का निर्माण किया। यह फिल्म इंडस्ट्री में एक नया प्रयोग था जब फिल्म का निर्माण बगैर गीतों के भी किया गया।
प्रेम टंडन
जारी वार्ता
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