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अंतरजातीय विवाह करने वाली लड़की को सुरक्षा देने के साथ

मुंबई, 07 मई (वार्ता) बम्बई उच्च न्यायालय ने पुणे पुलिस को मंगलवार को आदेश दिया कि दूसरी जाति के लड़के से विवाह करने वाली 19 वर्षीय लड़की को सुरक्षा प्रदान की जाये।
शिकायतकर्ता प्रियंका शेटे के वकील नितिन सतपुते ने इस संबंध में एक याचिका दाखिल की थी जिसमें धमकी की पूरी जानकारी दी गयी।
अवकाशकालीन खंडपीठ के न्यायमूर्ति एम. एस. कार्णिक और न्यायमूर्ति आर. आई. छागला ने पुणे के तलेगांव एमआईडीसी की पुलिस को निर्देश दिया कि शिकायतकर्ता की शिकायत पर गौर करें और उसे आवश्यक सुरक्षा उपलब्ध करायें। सुश्री शेटे कानून की पढ़ाई कर रही है। उन्होंने अपनी शिकायत में कहा है कि वह मराठा समुदाय की है और साथ में पढ़ने वाले छात्र विराज अघवड़े के साथ प्यार हो गया जो निचली जाति मातंग समाज से है।
सुश्री शेटे की याचिका के अनुसार विराज एक गरीब परिवार का लड़का है और लड़की के परिजन इस संबंध के खिलाफ हैं। परिवार वालों ने धमकी दी है कि यदि विराज से लड़की संबंध रखती है तो ‘दोनों की हत्या कर दी जायेगी।’
लड़की ने आरोप लगाया है कि उसके अभिभावक ‘प्रताड़ित’ कर रहे हैं। इस वर्ष फरवरी माह में प्रताड़ना से परेशान हो कर लड़की ने दवा की गोलियां खाकर आत्महत्या का प्रयास किया। लड़की के वकील ने अदालत को बताया कि बाद में लड़की को इलाज के लिए पुणे के पावना अस्पताल में भर्ती कराया गया और इलाज के बाद अस्पताल ने मामले को
तलेगांव पुलिस के पास भेज दिया लेकिन पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की।
इसी वर्ष मार्च के महीने में लड़की के मामा ने देशी पिस्तौल के जरिए धमकी दी। पीड़ित लड़की के वकील ने अदालत से आग्रह किया कि पुलिस को सुरक्षा उपलब्ध कराने का आदेश दिया जाय।
राज्य सरकार की ओर से हालांकि कहा गया कि शेटे को पहले संबंधित पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज करने के लिए कहा जाय। न्यायाधीश ने अदालत में उपस्थित तलेगांव एमआईडीसी थाने के अधिकारी से कहा कि सुश्री शेटे के आरोपों पर गौर करें और सुरक्षा सुनिश्चित करायें।
त्रिपाठी.श्रवण
वार्ता
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