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मनोरंजन-मजरूह राजकपूर दो मुबई

जिगर मुरादाबादी ने मजरूह सुल्तानपुरी को तब सलाह दी कि फिल्मों के लिये गीत लिखना कोई बुरी बात नहीं है। गीत लिखने से मिलने वाली धन राशि में से कुछ पैसे वह अपने परिवार के खर्च के लिये भेज सकते हैं। जिगर मुरादाबादी की सलाह पर मजरूह सुल्तानपुरी फिल्म में गीत लिखने के लिये राजी हो गये। संगीतकार नौशाद ने मजरूह सुल्तानपुरी को एक धुन सुनायी और उनसे उस धुन पर एक गीत लिखने को कहा।
मजरूह सुल्तान पुरी ने उस धुन पर .. जब उनके गेसू बिखराये बादल आये झूम के .. गीत की रचना की। मजरूह के गीत लिखने के अंदाज से नौशाद काफी प्रभावित हुये और उन्होंने अपनी नयी फिल्म ..शाहजहां .. के लिये गीत लिखने की पेशकश की।
फिल्म शाहजहां के बाद महबूब खान की ..अंदाज.. और एस फाजिल की ..मेहन्दी.. जैसे फिल्म मे अपने रचित गीतों की सफलता के बाद मजरूह सुल्तानपुरी बतौर गीतकार फिल्म जगत मे अपनी पहचान बनाने मे सफल हो गये। अपनी वामपंथी विचार धारा के कारण मजरूह सुल्तानपुरी को कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। कम्युनिस्ट विचारों के कारण उन्हें जेल भी जाना पड़ा। मजरूह सुल्तानपुरी को सरकार ने सलाह दी कि यदि वह माफी मांग लेते हैं तो उन्हें जेल से आजाद कर दिया जायेगा लेकिन मजरूह सुल्तानपुरी इस बात के लिये राजी नहीं हुये और उन्हें दो वर्ष के लिये जेल भेज दिया गया।
प्रेम.श्रवण
जारी वार्ता
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