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मिल बलात्कार मामले में दाेषियों की याचिका खारिज

मुंबई, 03 जून (वार्ता) बम्बई उच्च न्यायालय ने शक्ति मिल सामूहिक बलात्कार मामले में तीन दोषियों की ओर से दाखिल याचिका को सोमवार को खारिज कर दिया और भारतीय दंड संहिता की धारा 376 ई की संवैधानिक वैधता को बरकरार रखा जिसमें कहा गया है कि दोषी को उम्र कैद या फांसी की सजा हो सकती है।
न्यायाधीश बी पी धर्माधिकारी और न्यायमूर्ति रेवती माेहिते डेरे ने दोषियों द्वारा दाखिल याचिका को खारिज कर दिया। दोषियों ने उस कानूनी प्रावधानों की संवैधानिक वैधता को चुनौती दी है जिसके तहत उन्हे वर्ष 2014 में फांसी की सजा सुनायी गयी थी।
निर्भया सामूहिक बलात्कार की घटना के बाद वर्ष 2013 में संसद द्वारा कड़े प्रावधान को इस विधेयक के साथ जोड़ा गया था। भारतीय दंड सहिता की धारा 376 (ई) में संशोधन के तहत बार-बार बलात्कार का अपराध करने वाले दोषी को उम्रकैद या मौत की सजा हो सकती है।
अदालत ने कहा,“हमारा विचार है कि आईपीसी की धारा 376 (ई) संविधान के दायर से बाहर नहीं है इसलिए मौजूदा मामले में उसे खारिज नहीं किया जाएगा।”
इस मामले में दोषी ठहराये गये विजय जाधव, मोहम्मद कासिम बेंगाली और मोहम्मद सलीम अंसारी को सत्र अदालत ने वर्ष 2014 में मृत्यु दंड की सजा सुनायी थी।
गौरतलब है कि दोषियों ने 22 अगस्त 2013 को शहर की एक फोटो पत्रकार के साथ शक्ति मिल में सामूहिक बलात्कार किया गया था। उसी वर्ष तीनो दोषियों को शक्ति मिल मे ही एक काल सेंटर की लड़की के साथ सामूहिक बलात्कार के मामले में दोषी ठहराया गया था।
दोनों सामूहिक बलात्कार के मामले अदालत में एक साथ चल रहे थे और दोनों मामलो में दोषी भी एक ही दिन ठहराया गया था। सुनवाई कर रही अदालत ने काल सेंटर मामले में दोषियों को सजा सुनायी और सरकारी वकील को भारतीय दंड संहिता की धारा 376 ई के तहत दोषियों को आरोपित करने की अनुमति दी।
त्रिपाठी.संजय
वार्ता
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