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‘ओ साथी रे तेरे बिना भी क्या जीना’

(कल्याण जी के जन्मदिवस 30 जून के अवसर पर )
मुंबई 29 जून(वार्ता)
..जिंदगी से बहुत प्यार हमने किया,
मौत से भी मोहब्बत निभायेगें हम,
रोते-रोते जमाने में आये मगर,
हंसते हंसते जमाने से जायेगे हम।
जिंदगी के अनजाने सफर से बेहद प्यार करने वाले हिन्दी सिने जगत के मशहूर संगीतकार कल्याण जी का जीवन से प्यार उनकी संगीतबद्ध इन पंक्तियों मे समाया हुआ है।
गुजरात में कच्छ के कुंडरोडी में 30 जून 1928 को जन्में कल्याणजी वीर जी शाह बचपन से ही संगीतकार बनने का सपना देखा करते थे। उन्होंने हालांकि किसी उस्ताद से संगीत की शिक्षा नही ली थी। वह अपने सपने को पूरा करने के लिये मुंबई आ गये और संगीतकार हेमंत कुमार के सहायक के तौर पर काम करने लगे।
बतौर संगीतकार सबसे पहले वर्ष 1958 मे प्रदर्शित फिल्म ‘सम्राट चंद्रगुप्त’में कल्याण जी को संगीत देने का मौका मिला। वर्ष 1960 मे उन्होंने अपने छोटे भाई आनंद जी को भी मुंबई बुला लिया। इसके बाद कल्याणजी ने आंनद जी के साथ मिलकर फिल्मों मे संगीत देना शुरू किया।
वर्ष 1960 में ही प्रदर्शित फिल्म ‘छलिया’की कामयाबी से बतौर संगीतकार कुछ हद तक वह अपनी पहचान बनाने मे सफल हो गये। फिल्म छलिया में उनके संगीत से सजा गीत ‘डम डम डिगा डिगा’ और ‘छलिया मेरा नाम’ श्रोताओं के बीच आज भी लोकप्रिय है।
प्रेम.आशा.संजय
जारी.वार्ता
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