राज्य » गुजरात / महाराष्ट्रPosted at: Jul 19 2019 12:19PM अपनी आवाज की कशिश से श्रोताओं को मदहोश किया गीता दत्त ने..पुण्यतिथि 20 जुलाई के अवसर पर ..मुंबई 19 जुलाई (वार्ता) हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में गीता दत्त का नाम एक ऐसी पार्श्वगायिका के तौर पर याद किया जाता है जिन्होंने अपनी आवाज की कशिश से लगभग तीन दशक तक श्रोताओं को मदहोश किया।फरीदपुर शहर में 23 नवंबर 1930 को जन्मीं गीता जब महज 12 वर्ष की थी तब उनका पूरा परिवार फरीदपुर (अब बंगलादेश में) से मुंबई आ गया। उनके पिता जमींदार थे। बचपन के दिनों से ही गीता दत्त का रूझान संगीत की ओरथा और वह पार्श्वगायिका बनना चाहती थी। गीता ने अपनी संगीत की प्रारंभिक शिक्षा हनुमान प्रसाद से हासिल की।गीता को सबसेपहले वर्ष 1946 में फिल्म ‘भक्त प्रहलाद’ के लिये गाने का मौका मिला। गीता ने कश्मीर की कली, रसीली, सर्कस किंग जैसी कुछ फिल्मो के लिये भी गीत गाये लेकिन इनमें से कोई भी बॉक्स ऑफिस पर सफल नहीं हुयी।इस बीच गीता दत्त की मुलाकात संगीतकार एस.डी.बर्मन से हुयी। गीता दत्त मे एस.डी.बर्मन को फिल्मइंडस्ट्री का उभरता हुआ सितारा दिखाई दिया और उन्होंने गीता से अपनी अगली फिल्म ‘दो भाई’ के लिये गाने की पेशकश की।वर्ष 1947 में प्रदर्शित फिल्म ‘दो भाई’ गीता के सिने कैरियर की अहम फिल्म साबित हुयी और इस फिल्म में उनका गाया यह गीत .. मेरा सुंदर सपना बीत गया .. लोगों के बीच काफी लोकप्रिय हुआ। फिल्म दो भाई मे अपने गाये इस गीत की कामयाबी के बात बतौर पार्श्वगायिका गीतादत्त अपनी पहचान बनाने में सफल हो गयीं।प्रेम.संजयजारी.वार्ता