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भावपूर्ण गीतों से श्रोताओं को दीवाना बनाया गुलशन बावरा ने

..पुण्यतिथि 07 अगस्त के अवसर पर ..
मुंबई 06 अगस्त (वार्ता) बॉलीवुड में गुलशन बावरा को एक ऐसे गीतकार के तौर पर याद किया जाता है जिन्होंने अपने भावपूर्ण गीतों से लगभग तीन दशकों तक श्रोताओं को अपना दीवाना बनाया।
हिन्दी भाषा और साहित्य के करिश्मायी व्यक्तित्व गुलशन कुमार मेहता उर्फ गुलशन बावरा का जन्म 12 अप्रैल 1937 को लाहौर शहर के निकट शेखपुरा में हुआ था। महज छह वर्ष की उम्र से ही गुलशन बावरा का रूझान कविता लिखने की ओर था। उनकी मां विधावती धार्मिक क्रियाकलापों के साथ-साथ संगीत में भी काफी रूचि रखती थी। गुलशन बावरा अक्सर मां के साथ भजन.कीर्तन जैसे धार्मिक कार्यक्रमों में जाया करते थे।
देश के विभाजन के बाद हुये सांप्रदायिक दंगो में उनके माता-पिता की हत्या उनकी नजरो के सामने कर दी गयी इसके बाद वह अपनी बड़ी बहन के पास दिल्ली आ गये। गुलशन बावरा ने अपनी स्नातक की पढ़ाई दिल्ली
विश्वविद्यालय से पूरी की। पारिवारिक परंपरा को निभाते हुये गुलशन मेहता ने वर्ष 1955 में अपने करियर की शुरूआत मुंबई में एक लिपिक के तौर पर की। उनका मानना था कि सरकारी नौकरी करने से उनका भविष्य सुरक्षित रहेगा। लिपिक की नौकरी उनके स्वभाव के अनुकूल नहीं थी। इसलिए उन्होंने रेलवे में लिपिक की नौकरी छोड़ दी और अपना ध्यान फिल्म इंडस्ट्री की ओर लगाना शुरू कर दिया। फिल्म इंडस्ट्री में उन्हें कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। उन्होंने अपना संघर्ष जारी रखा और कई छोटे बजट की फिल्में भी की जिनसे उन्हें कुछ खास फायदा नहीं हुआ। इस बीच गुलशन की मुलाकात संगीतकार जोड़ी कल्याण जी- आनंद जी से हुयी और इनके लिए गुलशन मेहता ने फिल्म सट्टा-बाजार के लिये ..तुम्हे याद होगा कभी हम मिले थे .. गीत लिखा लेकिन इस फिल्म के जरिये वह कुछ खास पहचान नहीं बना पाये।
प्रेम, संतोष
जारी वार्ता
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