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देश में 70-90 प्रतिशत लोगों में विटामिन-डी की कमी: तलवलकर

मुंबई 28 अगस्त (वार्ता) एक अध्ययन के अनुसार देश में 70-90 प्रतिशत तक विटामिन-डी की कमी पायी गयी और विटामिन-डी की कमी से शिशुओं और बच्चों के विकास और वयस्कों के हड्डियों पर प्रतिकूल असर पड़ सकता है।
डाक्टर पी जी तलवलकर ने बुधवार को संवाददाताओं से बात करते हए कहा कि इस वर्ष आयोजित एक अखिल भारतीय अध्ययन के अनुसार विटामिन-डी की कमी उच्च रक्तचाप एवं मधुमेह के मरीजों में पाया गया। इसका संबंध हृदय रोगियों से भी जुड़ी हुयी है।
डॉ. तलवलकर और अन्य ने वर्ष 2019 में एक अध्ययन में यह पाया गया कि टाइप-2 मुधुमेह (डायबिटीज) के रोगियों में से 84.2 प्रतिशत विटामिन डी की कमी पायी और उच्च रक्तचाप के 82.6 प्रतिशत रोगियों में विटामिन-डी की कमी थी।
उन्होंने कहा कि कई अध्ययनों के आधार पर यह अनुमान लगाया जा सकता है कि देश में विटामिन-डी की कमी 70 से 90 प्रतिशत लोगों में है। इसके अलावा, अध्ययनों से यह भी पता चलता है कि उत्तर, दक्षिण, पूर्व या पश्चिम, किसी भी क्षेत्र में इस कमी के स्तर कुछ ख़ास भिन्न नहीं है, प्रत्येक क्षेत्र में यह कमी क्रमशः 88, 90, 93 और 91 प्रतिशत है।
उन्होंने कहा कि मुंबई में आयोजित एक अध्ययन में शहरी वयस्कों में विटामिन-डी की कमी
का 88 प्रतिशत प्रसार पाया गया है। विटामिन-डी एक ऐसा महत्वपूर्ण सूक्ष्म-पोषक तत्व होता है जो
शरीर में कैल्शियम और फास्फोरस की मात्रा को नियंत्रित करने में मदद करता है।
विटामिन डी हड्डियों, दाँतों और माँसपेशियों को स्वस्थ रखने के लिए आवश्यक होते है विटामिन-डी
समग्र स्वास्थ्य के लिए भी महत्वपूर्ण है।
विटामिन-डी की कमी हृदयरोग, मधुमेह, कैंसर और तपेदिक जैसे संक्रामक रोगों से जुड़ी हुई है। हालाँकि विटामिन डी की कमी को सूरज की रोशनी से पूरी की जा सकती है, फिर भी यह दुनिया में सबसे कम निदान और अल्प-उपचारित पोषक तत्वों की कमी में से एक है।
डाक्टर श्रीरूपादास ने बताया कि भारत जैसे धूप से परिपूर्ण देश में भी विटामिन-डी की कमी के कई कारण हैं। अधिकांश लोगों को सूरज की पर्याप्त रोशनी नहीं मिल पाता है। क्योंकि उनकी आधुनिक जीवनशैली के कारण लोगों को धूप सेकने का मौका नहीं मिल पाता है। इसके अलावा, भारतीय आहार में शाकाहार का एक महत्वपूर्ण स्थान होने के कारण भी विटामिन-डी का सेवन कम होता है। गरीबी की वजह से लोगों को उचित आहार नहीं मिलने के कारण
भी विटामिन-डी उन्हें पूरी तरह नहीं मिल पाता।
डॉ. तलवलकर ने बताया कि एक बार विटामिन–डी की मात्रा को बनाए रखने के लिए दोपहर में करीब 30 से 45 मिनट तक सूरज की रोशनी में रोगी को बैठना चाहिये और रोगी को विटामिन डी और कैल्शियम से भरपूर आहार की आवश्यकता होती है। इसके अलावा मछली के यकृत का तेल, सैलमन मछली, मैकेरल (छोटी समुद्री मछली), सार्डिन मछली, टूना मछली, अंडे की जर्दी और मशरूम का इस्तेमाल कर विटामिन-डी की कमी को पूरा किया जा सकता है।
त्रिपाठी, उप्रेती
वार्ता
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