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राज्य » गुजरात / महाराष्ट्र


अपनी फिल्म ..प्रेम रोग ..के लिये राजकपूर ने एक बार फिर से हसरत जयपुरी को मौका देना चाहा लेकिन बात नही बनी। इसके बाद हसरत जयपुरी ने राजकपूर के लिये वर्ष 1985 मे प्रदर्शित फिल्म राम तेरी गंगा मैली मे ..सुन साहिबा सुन..गीत लिखा जो काफी लोकप्रिय हुआ । हसरत जयपुरी को दो बार फिल्म फेयर पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। हसरत जयपुरी वल्र्ड यूनिवर्सिटी टेबुल के डाक्ट्रेट अवार्ड और उर्दू कान्फ्रेंस में जोश मलीहाबादी अवार्ड से भी सम्मानित किये गये। फिल्म मेरे हुजूर में हिन्दी और ब्रज भाषा में रचित गीत ..झनक झनक तोरी बाजे पायलिया .. के लिये वह अम्बेडकर अवार्ड से सम्मानित किये गये।
हसरत जयपुरी ने यूं तो कई रूमानी गीत लिखे लेकिन असल जिदंगी में उन्हें अपना पहला प्यार नही मिला।
बचपन के दिनों में उनकाे राधा नाम की हिन्दू लड़की से प्रेम हो गया था लेकिन उन्होंने अपने प्यार का इजहार
नहीं किया। उन्होंने पत्र के माध्यम से अपने प्यार का इजहार करना चाहा लेकिन उसे देने की हिम्मत वह नहीं जुटा पाए। बाद में राजकपूर ने उस पत्र में लिखी कविता ..ये मेरा प्रेम पत्र पढ़कर तुम नाराज ना होना .. का इस्तेमाल अपनी फिल्म..संगम ..के लिये किया।
हसरत जयपुरी ने तीन दशक लंबे अपने सिने करियर में 300 से अधिक फिल्मों के लिये लगभग 2000 गीत लिखे। अपने गीतों से कई वर्षो तक श्रोताओं को मंत्रमुग्ध करने वाला यह शायर और गीतकार 17 सिंतबर 1999 को
संगीत प्रेमियों को अपने एक गीत की इन पंक्तियों ...तुम मुझे यूं भूला ना पाओगे...
जब कभी भी सुनोगे गीत मेरे
संग संग तुम भी गुनगुनाओगे ..
की स्वर लहरियों में छोड़कर इस दुनिया को अलविदा कह गया।
प्रेम, प्रियंका
वार्ता
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