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ईओडब्ल्यू के फॉरेंसिक ऑडिटर की जांच पर देसाई ने सवाल उठाये

मुंबई, 08 अक्टूबर (वार्ता) मुंबई की एक विशेष अदालत ने नेशनल स्पॉट एक्सचेंज लिमिटेड (एनएसईएल) घोटाला मामले में आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) द्वारा गिरफ्तार किये गये दो ऑडिटरों - श्रवण जालान और अमित काबरा- की पुलिस हिरासत बुधवार तक के लिए बढ़ा दी, लेकिन इस दौरान अदालत कक्ष में अकाउंटिंग के विभिन्न पहलुओं, पेशागत शिष्टाचार, अंकेक्षकों को अवांछित तरीके से प्रताड़ित किये जाने और जांच की सुस्त रफ्तार जैसे मुद्दों पर तल्ख बहसें भी हुईं।
प्रतिष्ठित ऑडिटिंग कंपनी अर्नस्ट एंड यंग के दोनों गिरफ्तार ऑडिटरों की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता अमित देसाई ने अपने मुवक्किलों की अनायास और अवांछित गिरफ्तारी पर सवाल खड़े करते हुए दलील दी कि ईओडब्ल्यू के फॉरेंसिक ऑडिटर चेतन दलाल ने दोनों आरोपी ऑडिटरों को जांच में हिस्सा लेने के लिए कम से कम 50 बार समन किया था और दोनों जांच में सहयोग कर रहे थे। श्री देसाई ने सवाल खड़े किये कि कानूनी प्रक्रिया के दायरे में जब आरोपी ऑडिटर सहयोग कर ही रहे थे तो उन्हें गिरफ्तार करने की क्या जरूरत आन पड़ी थी?वरिष्ठ अधिवकता ने कहा कि श्री दलाल खुद ही एक प्रोफेशनल ऑडिटर हैं, लेकिन उन्होंने (श्री दलाल) ऑडिटर्स कम्युनिटी के मूलभूत नियमों एवं मानकों को नजरंदाज किया। ऐसा प्रतीत होता है कि उन्होंने मामले की जांच के दौरान गैर-पेशागत रवैया अपनाया। श्री देसाई ने कहा कि पूछताछ के दौरान आरोपी ऑडिटरों ने ईओडब्ल्यू को ऑडिट रिपोर्ट और वित्तीय विवरण से संबंधित 80 बक्से साक्ष्य उपलब्ध कराये थे, लेकिन आश्चर्यजनक रूप से प्रतीत होता है कि श्री दलाल को उनमें से कोई दस्तावेज नहीं प्राप्त हुआ। उन्होंने ईओडब्ल्यू के ऑडिटरों की पेशागत सूझबूझ पर भी सवाल उठाते हुए कहा कि म्यूचुअल फंड के बारे में विस्तृत ब्योरा उपलब्ध कराया जा चुका है, लेकिन श्री दलाल को वह नजर नहीं आया है। करंट इन्वेस्टमेंट मद में भी कुछ जानकारियां दी गयी है, वह भी उन्हें नजर नहीं आयीं। श्री देसाई ने दलील दी कि ईओडब्ल्यू द्वारा की जा रही जांच की मंथर गति स्पष्ट नजर आ रही है, क्योंकि सभी संबंधित दस्तावेज ईओडब्ल्यू के पास 2014 मौजूद हैं, लेकिन श्री दलाल को इस बारे में पता तक नहीं है, इसकी क्या वजह है? सभी दस्तावेज उपलब्ध कराये जाने के बावजूद इन्हें फिर से उपलब्ध कराने के लिए कहा जा रहा है।मामले की जांच में कुप्रबंधन और गड़बड़ी पर निशाना साधते हुए श्री देसाई ने कहा, “चेतन दलाल फॉरेंसिक ऑडिटर के रूप में काम करने लायक नहीं हैं। प्रोफेशनल ऑडिटर की भूमिका निभाते वक्त एक व्यक्ति को कुछ व्यावहारिक समझ होनी चाहिए। वरिष्ठ अधिवक्ता ने दोनों ऑडिटरों की गिरफ्तारी पर सवाल खड़े करते हुए कहा, “हमने श्री दलाल के प्रत्येक कॉल और समन का जवाब दिया। यदि जांच के संदर्भ में उनका कुछ अलग मंतव्य होता और उन्हें कुछ और जानकारी चाहिए थी, तो उन्होंने इस बार फिर पूछताछ के लिए क्यों नहीं उनके मुवक्किलों को बुलाया?”
सुरेश, संतोष वार्ता
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