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स्मिता ने समानांतर फिल्मों को दिया नया आयाम

.. जन्मदिवस 17 अक्टूबर के अवसर पर ..
मुंबई 16 अक्टूबर (वार्ता) भारतीय सिनेमा के नभमंडल में स्मिता पाटिल ऐसे ध्रुवतारे की तरह है जिन्होंने अपने सशक्त अभिनय से समानांतर सिनेमा के साथ. साथ व्यावसायिक सिनेमा में भी दर्शको के बीच अपनी खास पहचान बनायी ।
पुणे शहर में 17 अक्तूबर 1955 को जन्मीं स्मिता ने अपनी स्कूल की पढ़ाई महाराष्ट्र से पूरी की। उनके पिता शिवाजी राय पाटिल महाराष्ट्र सरकार में मंत्री थे जबकि उनकी मां समाज सेविका थीं। कॉलेज की पढ़ाई पूरी करने के बाद वह मराठी टेलीविजन में बतौर समाचार वाचिका काम करने लगी। इसी दौरान उनकी मुलाकात जाने माने निर्माता-निर्देशक श्याम बेनेगल से हुयी ।
श्याम बेनेगल उन दिनो अपनी फिल्म ‘चरण दास चोर’ बनाने की तैयारी में थे। श्याम बेनेगल ने स्मिता में एक उभरता हुआ सितारा दिखाई दिया और अपनी फिल्म में स्मिता को एक छोटी सी भूमिका निभाने का अवसर दिया। भारतीय सिनेमा जगत में चरण दास चोर को ऐतिहासिक फिल्म के तौर पर याद किया जाता है क्योंकि इसी फिल्म के माध्यम से श्याम बेनेगल और स्मिता पाटिल के रूप में कलात्मक फिल्मों के दो दिग्गजों का आगमन हुआ।
श्याम बेनेगल ने स्मिता पाटिल के बारे मे एक बार कहा था,“मैंने पहली नजर में ही समझ लिया था कि स्मिता में गजब की स्क्रीन उपस्थिती है और जिसका उपयोग रूपहले पर्दे पर किया जा सकता है।”
फिल्म चरण दास चोर हालांकि बाल फिल्म थी लेकिन इस फिल्म के जरिये स्मिता ने बता दिया था कि हिंदी फिल्मों मे खासकर यथार्थवादी सिनेमा में एक नया नाम स्मिता के रूप में जुड़ गया है। इसके बाद वर्ष 1975 मे श्याम बेनेगल द्वारा ही निर्मित फिल्म ‘निशांत’ मे स्मिता को काम करने का मौका मिला। वर्ष 1977 स्मिता के सिने कैरियर में अहम पड़ाव साबित हुआ। इस वर्ष उनकी भूमिका और मंथन जैसी सफल फिल्मे प्रदर्शित हुयीं।
प्रेम.संजय
जारी.वार्ता
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