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फिल्मों में बाल कलाकारों का जलवा भी कम नहीं

..बाल दिवस 14 नवंबर के अवसर पर ..
मुंबई 13 नवंबर (वार्ता) बॉलीवुड सिनेमा यूं तो युवा प्रधान है और समूचा सिने उद्योग युवा सोच की मांग को ध्यान में रखकर फिल्मों का निर्माण करता है लेकिन बाल कलाकारों ने इस व्यवस्था को अपने दमदार अभिनय से लगातार चुनौती दी है।
बाल फिल्मों की गिनीचुनी संख्या और बाल कलाकारों को मुख्यधारा के सिनेमा में कमजगह मिलने के बावजूद इन कलाकारों का इतिहास भरपूर रोशन है। इनमें बेबी तबस्सुम,मास्टर रतन, डेजी ईरानी, पल्लवी जोशी, मास्टर सचिन, नीतू सिंह, पदमिनी कोल्हापुरे और उर्मिला मातोंडकर का नाम काफी मशहूर हुआ।सत्तर के दशक में ऐसे कई बाल कलाकार भी हुये जिन्होंने बाद में बतौर अभिनेता और अभिनेत्री बनकर फिल्म इंडस्ट्री में अपनी अमिट छाप छोड़ी। ऐसे ही बाल कलाकारों में ..नीतू सिंह.पद्मिनी कोल्हापुरी और सचिन प्रमुख हैं।
सत्तर के दशक में नीतू सिंह ने कई फिल्मों में बाल कलाकार के तौर पर अभिनय किया इनमें वर्ष 1968 में प्रदर्शित फिल्म ..इस फिल्म ..खासतौर पर उल्लेखनीय है। फिल्म दो कलियां में नीतू सिंह की दोहरी भूमिका को सिने प्रेमी शायद ही कभी भूल पायें। इस फिल्म में उन पर फिल्माया यह गीत ..बच्चे मन के सच्चे ..दर्शकों के बीच आज भी लोकप्रिय है। बाल कलाकार के तौर पर फिल्म इंडस्ट्री में पद्मिनी कोल्हापुरे ने भी अपनी धाक जमायी थी। बतौर बाल कलाकार उनकी महत्वपूर्ण फिल्मों में सत्यम शिवम सुंदरम. ड्रीमगर्ल.जिंदगी ,सजना बिना सुहागन आदि शामिल है।
अस्सी के दशक में बाल कलाकार अपनी भूमिका में विविधता को कुशलता पूर्वक निभाकर अपनी धाक बचाने में सफल रहे । निर्देशक शेखर कपूर ने एक ऐसा ही प्रयोग किया था फिल्म ..मासूम ..में जिसमें बाल कलाकार जुगल हंसराज ने अपनी दमदार अभिनय से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया।वर्ष 1998 में प्रदर्शित फिल्म ..कुछ कुछ होता है ..फिल्म इंडस्ट्री की सर्वाधिक कामयाब फिल्मों में शुमार की जाती है। शाहरूख खान और काजोल जैसे दिग्गज कलाकारों की उपस्थिती में बाल अभिनेत्री सना सईद अपने दमदार अभिनय से दर्शकों का दिल जीतने में सफल रही।
प्रेम,जतिन
जारी वार्ता
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