राज्य » गुजरात / महाराष्ट्रPosted at: Nov 25 2019 10:34AM पहली संगीतकार जोड़ी थी हुस्नलाल-भगतराम की..पुण्यतिथि 26 नवंबर के अवसर पर ..मुंबई 25 नवंबर नवंबर (वार्ता) भारतीय फिल्म संगीत जगत में अपनी धुनों के जादू से श्रोताओं को मदहोश करने वाले संगीतकार तो कई हुए और उनका जादू भी श्रोताओं के सर चढ़कर बोला लेकिन उनमें कुछ ऐसे भी थे जो बाद मेंगुमनामी के अंधेरे में खो गये और आज उन्हें कोई याद भी नहीं करता। फिल्म इंडस्ट्री की पहली संगीतकार जोड़ी हुस्नलाल-भगतराम भी ऐसी ही एक प्रतिभा थे।आवाज की दुनिया के बेताज बादशाह मोहम्मद रफी को प्रारंभिक सफलता दिलाने में हुस्नलाल-भगतराम का अहम योगदान रहा था। चालीस के दशक कें अंतिम वर्षो में जब मोहम्मद रफी फिल्म इंडस्ट्री में बतौर पार्श्वगायक अपनी पहचान बनाने में लगे थे तो उन्हें काम ही नही मिलता था। तब हुस्नलाल-भगतराम की जोड़ी ने उन्हें एक गैर फिल्मी गीत गाने का अवसर दिया था।वर्ष 1948 में महात्मा गांधी की हत्या के बाद इस जोड़ी ने मोहम्मद रफी को राजेन्द्र कृष्ण रचित गीत ..सुनो सुनो ऐ दुनिया वालो बापू की अमर कहानी..गाने का अवसर दिया। देशभक्ति के जज्बे से परिपूर्ण यह गीत श्रोताओं में काफी लोकप्रिय हुआ। इसके बाद अन्य संगीतकार भी मोहम्मद रफी की प्रतिभा को पहचानकर उनकी तरफ आकर्षित हुये और अपनी फिल्मों में उन्हें गाने का मौका देने लगे।मोहम्मद रफी हुस्नलाल-भगतराम के संगीत बनाने के अंदाज से काफी प्रभावित थे और उन्होंने कई मौकों पर इस बात का जिक्र भी किया है। मोहम्मद रफी सुबह चार बजे ही इस संगीतकार जोडी के घर तानपुरा लेकर चले जाते थे जहां वह संगीत का रियाज किया करते थे।प्रेम.संजयजारी.वार्ता