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क्लैपर ब्वॉय बना भारतीय सिनेमा का पहला शो मैन

..जन्मदिवस 14 दिसंबर के अवसर पर ..
मुंबई 13 दिसंबर (वार्ता) भारतीय सिनेमा को एक से बढ़कर नायाब फिल्में देने वाले पहले शो मैन राजकपूर बचपन के दिनो से अभिनेता बनना चाहते थे और इसके लिये उन्हें न सिर्फ क्लैपर ब्वॉ बनना पड़ा साथ ही किदार शर्मा का थप्पड़ भी खाना पड़ा था।
पेशावर (अब पाकिस्तान) में 14 दिसंबर 1924 को जन्मे राजकपूर जब मैट्रिक की परीक्षा में एक विषय में फेल हो गये तब अपने पिता पृथ्वीराज कपूर से उन्होंने कहा ..मैं पढ़ना नही चाहता.. मैं फिल्मों में काम करना चाहता हूं ..मैं एक्टर बनना चाहता हूं .. फिल्में बनाना चाहता हूं ..राजकपूर की बात सुनकर पृथ्वीराज कपूर की आंख खुशी से चमक उठी।
राजकपूर ने अपने सिने कैरियर की शुरूआत बतौर बाल कलाकार वर्ष 1935 में प्रदर्शित फिल्म ‘इंकलाब’ से की। बतौर अभिनेता वर्ष 1947 में प्रदर्शित फिल्म ‘नीलकमल’ उनकी पहली फिल्म थी। राजकपूर का फिल्म नीलकमल में काम करने का किस्सा काफी दिलचस्प है।
पृथ्वीराज कपूर ने अपने पुत्र राज को केदार शर्मा की यूनिट में क्लैपर ब्वॉय के रूप में काम करने की सलाह दी। फिल्म की शूटिंग के समय वह अक्सर आइने के पास चले जाते थे और अपने बालो में कंघी करने लगते थे। क्लैप देते समय इस कोशिश में रहते कि किसी तरह उनका भी चेहरा कैमरे के सामने आ जाये। एकबार फिल्म विषकन्या की शूटिंग के दौरान राजकपूर का चेहरा कैमरे के सामने आ गया और हड़बडाहट में चरित्र अभिनेता की दाढी क्लैप बोर्ड में उलझकर निकल गयी। बताया जाता है केदार शर्मा ने राजकपूर को अपने पास बुलाकर जोर का थप्पड लगाया। हालांकि केदार शर्मा को इसका अफसोस रात भर रहा। अगले दिन उन्होने अपनी नयी फिल्म नीलकमल के लिये राजकपूर को साइन कर लिया।
राजकपूर फिल्मों मे अभिनय के साथ ही कुछ और भी करना चाहते थे। वर्ष 1948 में आर.के.फिल्मस की स्थापना कर ‘आग’ का निर्माण किया। वर्ष 1952 में प्रदर्शित फिल्म ‘आवारा’ राजकपूर के सिने कैरियर की अहम फिल्म साबित हुयी। फिल्म की सफलता ने राजकपूर को अंतराष्ट्रीय ख्याति दिलाई। फिल्म का शीर्षक गीत ..आवारा हूं या गर्दिश में आसमान का तारा हूं.. देश..विदेश में बहुत लोकप्रिय हुआ।
प्रेम.संजय
जारी.वार्ता
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