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बहुआयामी कलाकार के तौर पर पहचान बनायी नाना पाटेकर ने

..जन्मदिन 01 जनवरी के अवसर पर..
मुंबई 31 दिसंबर (वार्ता) बॉलीवुड में नाना पाटेकर को एक ऐसे बहुआयामी कलाकार के तौर पर जाना जाता है जिन्होंने नायक,सहनायक,खलनायक और चरित्र कलाकार भूमिकाओं से दर्शकों को अपना दीवाना बनाया हैं।
नाना पाटेकर उर्फ विश्वनाथ पाटेकर का जन्म मुंबई मे 01 जनवरी 1951 को एक मध्यम वर्गीय मराठी परिवार में हुआ। उनके पिता दनकर पाटेकर चित्रकार थे। नाना ने मुंबई के जे.जे स्कूल आफ आर्ट्स से पढ़ाई की। इस दौरान वह कॉलेज द्वारा आयोजित नाटकों में हिस्सा लिया करते थे। नाटा पाटेकर को स्केचिंग का भी शौक था और वह अपराधियों की पहचान के लिये मुंबई पुलिस को उनकी स्केच बनाकर दिया करते थे।
नाना ने अपने सिनेमा करियर की शुरूआत वर्ष 1978 मे प्रदर्शित फिल्म ‘गमन’ से की लेकिन इस फिल्म में दर्शकों ने उन्हें नोटिस नही किया। अपने वजूद को तलाशते नाना को फिल्म इंडस्ट्री में लगभग आठ वर्ष संघर्ष करना पड़ा। फिल्म गमन के बाद उन्हें जो भी भूमिका मिली वह उसे स्वीकार करते चले गये। इस बीच उन्होंने गिद्ध,भालू,शीला जैसी कई दोयम दर्जे की फिल्मों मे अभिनय किया लेकिन इनमें से कोई भी फिल्म बॉक्स आफिस पर सफल नहीं हुयी। वर्ष 1984 मे प्रदर्शित फिल्म ‘आज की आवाज’ में बतौर अभिनेता नाना पाटेकर ने राजब्बर के साथ काम किया। यह फिल्म पूरी तरह राजब्बर पर केन्द्रित थी फिर भी नाना सधे हुये किरदार को निभाकर अपने अभिनय की छाप छोड़ने मे कामयाब रहे। फिल्म हालांकि बॉक्स ऑफिस पर हिट साबित नही हुयी थी।
नाना पाटेकर को प्रारंभिक सफलता दिलाने में निर्माता,निर्देशक एन. चंद्रा की फिल्मों का बड़ा योगदान रहा। उन्हें पहला बड़ा ब्रेक फिल्म ‘अंकुश’ में वर्ष 1986 से मिला। इस फिल्म में नाना पाटेकर ने एक ऐसे बेरोजगार युवक की भूमिका निभायी जो काम नही मिलने पर समाज से नाराज है और उल्टे सीधे रास्ते पर चलता है। अपने इस किरदार को नाना पाटेकर ने इतनी संजीदगी से निभाया कि दर्शक उस भूमिका को आज भी भूल नहीं पाये है। इसे महज एक संयोग कहा जायेगा कि इसी फिल्म से एन चंद्रा ने बतौर निर्माता और निर्देशक अपने सिने करियर की शुरूआत की थी ।
प्रेम,जतिन
जारी वार्ता
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