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सेना में काम करना चाहती थीं नंदा

..जन्मदिन 08 जनवरी के अवसर पर ..
मुंबई 07 जनवरी (वार्ता) बॉलीवुड में अपनी दिलकश अदाओं से अभिनेत्री नंदा ने लगभग तीन दर्शक तक दर्शकों को मंत्रमुग्ध किया लेकिन बहुत कम लोगो को पता होगा कि वह फिल्म अभिनेत्री न बनकर सेना में काम करना चाहती थीं ।
मुंबई में आठ जनवरी 1939 को जन्मी नंदा के घर में फिल्म का माहौल था। उनके पिता मास्टर विनायक मराठी रंगमंच के जाने माने हास्य कलाकार थे इसके अलावा उन्होंने कई फिल्मो का निर्माण भी किया था। उनके पिता चाहते थे कि नंदा फिल्म इंडस्ट्री में अभिनेत्री बने लेकिन इसके बावजूद नंदा की अभिनय में कोई दिलचस्पी नहीं थी। नंदा महान स्वतंत्रता सेनानी सुभाष चंद्र बोस से काफी प्रभावित थीं और उनकी ही तरह सेना से जुड़कर देश की रक्षा करता चाहती थीं। एक दिन का वाकया है कि जब नंदा पढ़ाई में व्यस्त थी तब उनकी मां ने उसके पास आकर कहा,“ तुम्हें अपने बाल कटवाने होंगे। क्योंकि तुम्हारे पापा चाहते हैं कि तुम उनकी फिल्म में लड़के का किरदार निभाओ।”
मां की इस बात को सुनकर नंदा को काफी गुस्सा आया। पहले तो उन्होंने बाल कटवाने के लिये साफ तौर से मना कर दिया लेकिन मां के समझाने पर वह इस बात के लिये तैयार हो गयी। फिल्म के निर्माण के दौरान नंदा के सर से पिता का साया उठ गया, साथ ही फिल्म भी अधूरी रह गयी। धीरे-धीरे परिवार की आर्थिक स्थिति खराब होने लगी। उनके घर की स्थित इतनी खराब हो गयी कि उन्हें अपना बंगला और कार बेचने के लिये विवश होना पड़ा। परिवार की आर्थिक स्थिति खराब होने के कारण नंदा ने बाल कलाकार फिल्मों में काम करना शुरू कर दिया। बतौर बाल कलाकार नंदा ने मंदिर (1948), जग्गु (1952), शंकराचार्य (1954), अंगारे (1954) जैसी फिल्मों मे काम किया ।
वर्ष 1956 में अपने चाचा व्ही शांताराम की फिल्म दीया और तूफान से नंदा ने बतौर अभिनेत्री अपने सिने कैरियर की शुरूआत की। हालांकि फिल्म की असफलता से वह कुछ खास पहचान नही बना पायी। फिल्म दीया और तूफान की असफलता के बाद नंदा ने राम लक्षमण, लक्ष्मी, दुल्हन, जरा बचके, साक्षी गोपाल, चांद मेरे आजा, पहली रात जैसी बी और सी ग्रेड वाली फिल्मों में बतौर अभिनेत्री काम किया लेकिन इन फिल्मों से उन्हें कोई खास फायदा नहीं पहुंचा।
प्रेम.संजय
जारी.वार्ता
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