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जन धन योजना गरीबों को औपचारिक वित्तीय प्रणाली में ले आई: कोविंद

पुणे, 12 फरवरी (वार्ता) राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने बुधवार को यहां नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ बैंक मैनेजमेंट (एनआईबीएम) के स्वर्ण जयंती समारोह में कहा कि प्रधानमन्त्री जन धन योजना के तहत बैंकों द्वारा किए गये प्रयासों से बड़ी संख्या में लोगों को बैंक से जोड़ा गया, विशेष रूप से गरीबों को औपचारिक वित्तीय प्रणाली से जोड़ा गया और यह एक ऐतिहासिक बदलाव रहा है।
उन्होंने कहा, “ विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं के तहत धन के प्रत्यक्ष हस्तांतरण के माध्यम से लाखों लोगों के जीवन को छुआ गया है, उन्होंने कहा कि ‘ये धनराशि लगभग 9.2 लाख करोड़ रुपये की है। यह वास्तव में बहुत आश्वस्त करने वाली बात है और हम अब अपनी उम्मीदें बढ़ा सकते हैं।
उन्होंने कहा कि खातों के स्वामित्व में लिंग अंतर तेजी से कम हो रही है। यह हमें सामाजिक न्याय के साथ-साथ आर्थिक के हमारे संवैधानिक लक्ष्य के करीब ले जाता है। उन्होंने कहा कि बैंकों से वित्तीय परिसंपत्तियों के स्वामित्व में अधिक लिंग समानता लाने के लिए सक्रिय कदम उठाने का अनुरोध करें।
श्री कोविंद ने कहा, “ हमें दिव्यांग नागरिकों को वित्तीय मुख्यधारा में पूरी तरह से एकीकृत करने के लिए हर संभव प्रयास करना होगा। जैसा कि भारत का लक्ष्य पांच ट्रिलियन-डॉलर की अर्थव्यवस्था है, बैंकिंग क्षेत्र को अगली बड़ी छलांग के लिए तैयारी शुरू करनी है। इसमें मुख्य रूप से बैंकिंग के साथ गैर बैंकिंग शामिल है और असुरक्षित को सुरक्षित करना है।
उन्होंने इस क्षेत्र के लिए प्रशिक्षित मानव संसाधन बनाने के लिए एनआईबीएम से आग्रह करते हुए आगे कहा, “हमें दुनिया के शीर्ष 100 बैंकों में एक से अधिक नाम रखने का लक्ष्य रखना चाहिए। इसे सुनिश्चित करने के लिए बैंकों की महत्वपूर्ण भूमिका है।”
उन्होंने कहा, “ बैंकों को यह सुनिश्चित करने के लिए सभी संभव विवेकपूर्ण उपाय करने होंगे कि किसी भी तरह से विश्वासघात न हो। हाल ही में जमा बीमा कवरेज एक लाख से बढ़ाकर पांच लाख करने का प्रस्ताव बचतकर्ताओं को आश्वस्त करने की दिशा में एक सकारात्मक कदम है।”
श्री कोविंद ने कहा कि बैंक हमारे संविधान में निहित बहुलता के मूल्यों के लिए खड़े हैं। उन्होंने कहा, “यह महत्वपूर्ण है कि हम बैंकों के साथ-साथ समाज के लिए अपनी सेवाओं का विस्तार करने में समानता और विविधता जारी रखें।”
श्री कोविंद ने एनआईबीएम के काम की सराहना करते हुए कहा, “एनआईबीएम अपने जनादेश पर खरा उतरा है। यहां 1.1 लाख से अधिक बैंक कर्मचारियों को प्रशिक्षित किया गया है। एनआईबीएम परिसर ने लगभग 9,000 अंतरराष्ट्रीय छात्रों की मेजबानी भी की है। संस्थान ने इस तरह विदेशों में भारत की सॉफ्ट ताकत को बढ़ाने में मदद की है।”
त्रिपाठी.श्रवण
जारी वार्ता
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