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संगीत के जादू से लोगों को दीवाना बनाया रवि ने

...पुण्यतिथि 07 मार्च के अवसर पर ...
मुंबई 06 मार्च (वार्ता) अपनी मधुर संगीत लहरियों से लगभग चार दशक तक श्रोताओं को दीवाना बनाने वाले रवि का नाम एक ऐसे संगीतकार के रूप में याद किया जाता है जिनके संगीतबद्ध गीत को सुनकर श्रोताओं के दिल से बस एक ही आवाज निकलती है ..जो भी हो तुम खुदा की कसम लाजवाब हो ..
संगीतकार रवि का जन्म 03 मार्च 1926 को हुआ था। उनका मूल नाम रवि शंकर शर्मा था। बचपन के दिनों से ही रवि का रुझान संगीत की ओर था और वह पार्श्वगायक बनना चाहते थे हालांकि उन्होंने किसी उस्ताद से संगीत की शिक्षा नही ली थी। पचास के दशक में बतौर पार्श्वगायक बनने की तमन्ना लिये रवि मुंबई आ गये। मुंबई में रवि की मुलाकात निर्माता-निर्देशक देवेन्द्र से हुयी जो उन दिनों अपनी फिल्म ..वचन .. के लिए संगीतकार की तलाश कर रहे थे। देवेन्द्र ने रवि की प्रतिभा को पहचान उन्हें अपनी फिल्म ..वचन ..में बतौर संगीतकार काम करने का मौका दिया। अपनी पहली ही फिल्म वचन में रवि ने दमदार संगीत देकर श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया ।
वर्ष 1955 में प्रदर्शित फिल्म ..वचन ..में गायिका आशा भोंसले की आवाज में रचा बसा यह गीत ..चंदा मामा दूर के, पुआ पकाये गुर के ..उन दिनों काफी सुपरहिट हुआ और आज भी बच्चों के बीच काफी शिद्दत के साथ सुने जाते हैं। फिल्म वचन की सफलता के बाद रवि कुछ हद तक अपनी पहचान बनाने में कामयाब हो गये। अपने वजूद को तलाशते रवि को फिल्म इंडस्ट्री में सही मुकाम पाने के लिये लगभग पांच वर्ष इंतजार करना पड़ा। इस बीच उन्होंने अलबेली. प्रभु की माया,अयोध्यापति, नरसी भगत, देवर भाभी, एक साल, घर-संसार, मेंहदी जैसी कई दोयम दर्जे की फिल्मों के लिये संगीत दिया लेकिन इनमें से कोई फिल्म टिकट खिड़की पर सफल नहीं हुई ।
प्रेम, यामिनी
जारी वार्ता
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