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मनोरंजन-ताराचंद पारिवारिक फिल्म दो अंतिम मुंबई

इसके बाद ताराचंद फिल्म प्रर्दशन के क्षेत्र से भी जुड़ गये,जिससे उन्हें काफी फायदा हुआ। उन्होंने कई शहरों मे सिनेमा हॉल का निर्माण किया।फिल्म वितरण के साथ-साथ ताराचंद का यह सपना भी था कि वह छोटे बजट की पारिवारिक फिल्मों का निर्माण भी करें।वर्ष 1962 में प्रदर्शित फिल्म आरती के जरिये उन्होंने ताराचंद बड़जात्या ने फिल्म निर्माण के क्षेत्र में भी कदम रख दिया।फिल्म आरती की सफलता के बाद बतौर निर्माता वह फिल्म इंडस्ट्री में स्थापित हो गये। इस फिल्म से जुड़ा रोचक तथ्य है कि इस फिल्म के लिये अभिनेता संजीव कुमार ने स्क्रीन टेस्ट दिया, जिसमें वह पास नही हो सके थे।
ताराचंद के मन में यह बात हमेशा आती थी कि नये कलाकारों को फिल्म इंडस्ट्री में स्थापित होने का समुचित अवसर नही मिल पाता है। उन्होने यह संकल्प किया कि वह अपनी फिल्मों के माध्यम से नये कलाकारो को अपनी
प्रतिभा दिखाने का ज्यादा से ज्यादा मौका देगें।वर्ष 1964 में इसी उद्देश्य को पूरा करने के लिये उन्होंने फिल्म दोस्ती का निर्माण किया जिसमें उन्होंने अभिनेता संजय खान को फिल्म इंडस्ट्री के रूपहले पर्दे पर पेश किया। दोस्ती के रिश्ते पर आधारित इस फिल्म ने न सिर्फ सफलता के नये आयाम स्थापित किये बल्कि अभिनेता संजय खान के कैरियर को भी एक नयी दिशा दी।इस फिल्म का यह गीत चाहूंगा तुझे मै सांझ सवेरे आज भी श्रोताओं के बीच काफी लोकप्रिय है।
संजय खान के अलावा कई अन्य अभिनेताओं और अभिनेत्रियों के सिने कैरियर को संवारने में भी ताराचंद का अहम योगदान रहा है जिनमें सचिन, सारिका -गीत गाता चल) अमोल पालेकर-जरीना बहाव ( चितचोर) रंजीता (अंखियो के झरोके से) राखी (जीवन मृत्यु) अरूण गोविल, (सावन को आने दो) रामेश्वरी (दुल्हन वही जो पिया मन भाये) सलमान खान -भाग्य श्री (मैने प्यार किया) जैसे सितारे शामिल है ।
ताराचंद को मिले सम्मानों को देखा जाये तो उन्हें अपनी निर्मित फिल्म के लिये दो बार फिल्म फेयर के सर्वश्रेष्ठ फिल्मकार से नवाजा गया है ।अपनी निर्मित फिल्मों से लगभग चार दशक तक दर्शको का भरपूरमनोरंजन करने वाले महान फिल्माकार ताराचंद बड़जात्या 21 सितंबर 1992 को इस दुनिया को अलविदा कह गये ।
प्रेम
वार्ता
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