राज्य » गुजरात / महाराष्ट्रPosted at: Oct 7 2021 2:14PM मनोरंजन-राजकुमार दमदार अभिनय तीन अंतिम मुंबईराजकुमार ने इसके बाद हमराज, नीलकमल, मेरे हुजूर, हीर रांझा और पाकीजा में रूमानी भूमिकाए भी स्वीकार कीं। जो उनके फिल्मी चरित्र से मेल नहीं खाती थीं। इसके बावजूद राजकुमार दर्शकों का दिल जीतने मे सफल रहे। कमाल अमरोही की फिल्म पाकीजा पूरी तरह से मीना कुमारी पर केन्द्रित फिल्म थी। इसके बावजूद राजकुमार अपने सशक्त अभिनय से दर्शकों की वाहवाही लूटने में सफल रहे। वर्ष 1991 में रिलीज फिल्म 'सौदागर' में राजकुमार के अभिनय के नए आयाम देखने को मिले। सुभाष घई की निर्मित इस फिल्म में राजकुमार साल 1959 मे रिलीज फिल्म पैगाम के बाद दूसरी बार दिलीप कुमार के सामने थे और अभिनय की दुनिया के इन दोनों महारथियों का टकराव देखने लायक था। नब्बे के दशक मे राजकुमार ने फिल्मों मे काम करना काफी कम कर दिया। इस दौरान उनकी तिरंगा, पुलिस और मुजिरम, इंसानियत के देवता, बेताज बादशाह और गन जैसी फिल्में रिलीज हुईं। नितांत अकेले रहने वाले राजकुमार ने शायद यह महसूस कर लिया था कि मौत उनके काफी करीब है, इसीलिए अपने पुत्र पुरू राजकुमार को उन्होंने अपने पास बुला लिया और कहा- देखो मौत और जिंदगी इंसान का निजी मामला होता है। मेरी मौत के बारे में मेरे मित्र चेतन आनंद के अलावा और किसी को नही बताना। मेरा अंतिम संस्कार करने के बाद ही फिल्म उद्योग को सूचित करना। अपने संजीदा अभिनय से लगभग चार दशक तक दर्शको के दिल पर राज करने वाले महान अभिनेता राजकुमार 03 जुलाई 1996 को इस दुनिया को अलविदा कह गए।प्रेमवार्ता