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मनोरंजन-गुरूदत्त बहुआयामी तीन अंतिम मुंबई

वर्ष 1953 में प्रदर्शित फिल्म बाज के साथ गुरूदत्त ने अभिनय के क्षेत्र में भी कदम रख दिया और इसके बाद सुहागन, आरपार, मिस्टर एंड मिसेज 55, प्यासा, 12ओ क्लॉक, कागज के फूल, चौदहवी का चांद, सौतेला भाई, साहिब बीवी और गुलाम, भरोसा, बहूरानी, सांझ और सवेरा तथा पिकनिक जैसी कई फिल्मों में अपने अभिनय का जौहर दिखाया। वर्ष 1954 मे प्रदर्शित फिल्म 'आरपार' की कामयाबी के बाद गुरूदत्त की गिनती अच्छे निर्देशकों में होने लगी। इसके बाद उन्होंने प्यासा और मिस्टर एंड मिसेज 55 जैसी अच्छी फिल्में भी बनाई।
वर्ष 1959 में अपनी निदेर्शित फिल्म कागज के फूल की बॉक्स ऑफिस पर असफलता के बाद उन्होंने निर्णय लिया कि भविष्य में वह किसी और फिल्म का निर्देशन नहीं करेंगें। ऐसा माना जाता है कि वर्ष 1962 में प्रदर्शित फिल्म साहिब बीबी और गुलाम हालांकि गुरूदत्त ने ही बनाई थी, लेकिन उन्होंने इसका श्रेय फिल्म के कथाकार अबरार अल्वी को दिया।गुरूदत्त ने कई फिल्मों की पटकथा भी लिखी जिनमें बाजी, जाल और बाज शामिल है।
वर्ष 1957 में गुरूदत्त और गीता दत्त की विवाहित जिंदगी मे दरार आ गई। इसके बाद गुरूदत्त और गीता दत्त ने अलग अलग रहने लगे। इसकी एक मुख्य वजह यह भी रही कि उस समय उनका नाम अभिनेत्री वहीदा रहमान के साथ भी जोड़ा जा रहा था। गीता राय से जुदाई के बाद गुरूदत्त टूट से गए और उन्होंने अपने आप को शराब के नशे में डूबो दिया। 10 अक्तूबर 1964 को अत्यधिक मात्रा में नींद की गोलियां लेने के कारण गुरूदत्त इस दुनिया को सदा के लिए छोड़ कर चले गए। उनकी मौत आज भी सिने प्रेमियो के लिए एक रहस्य ही बनी हुई है।
प्रेम
वार्ता
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