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मनोरंजन-किशोर बहुमुखी प्रतिभा दो मुंबई

अपनी इच्छा के विपरीत किशोर कुमार ने अभिनय करना जारी रखा,जिन फिल्मो में वह बतौर कलाकार काम किया करते थे उन्हे उस फिल्म में गाने का भी मौका मिल जाया करता था। किशोर कुमार की आवाज सहगल से काफी हद तक मेल खाती थी। बतौर गायक सबसे पहले उन्हें वर्ष 1948 में बांबे टाकीज की फिल्म जिद्दी में सहगल के अंदाज मे हीं अभिनेता देवानंद के लिये मरने की दुआएं क्यूं मांगू गाने का मौका मिला।
किशोर कुमार ने वर्ष 1951 में बतौर मुख्य अभिनेता फिल्म आन्दोलन से अपने करियर की शुरूआत की, लेकिन इस फिल्म से दर्शको के बीच वह अपनी पहचान नहीं बना सके। वर्ष 1953 में प्रदर्शित फिल्म लड़की बतौर अभिनेता उनके कैरियर की पहली हिट फिल्म थी। इसके बाद बतौर अभिनेता भी किशोर कुमार ने अपनी फिल्मो के जरिये दर्शको का भरपूर मनोरंजन किया।
किशोर कुमार ने वर्ष 1964 में फिल्म दूर गगन की छांव में के जरिये निर्देशन के क्षेत्र मे कदम रखने के बाद, दो डाकू,दूर का राही,बढ़ती का नाम दाढ़ी, शाबास डैडी, दूर वादियो में कहीं, चलती का नाम जिंदगी और ममता की छांव मे जैसी कई फिल्मों का निर्देशन भी किया।निर्देशन के अलावा उन्होनें कई फिल्मों मे संगीत भी दिया, जिनमें झुमरू, दूर गगन की छांव में,दूर का राही, जमीन आसमान और ममता की छांव में जैसी फिल्मे शामिल है। बतौर निर्माता किशोर कुमार ने दूर गगन की छांव में और दूर का राही जैसी फिल्में भी बनायीं।
किशोर कुमार को अपने कैरियर में वह दौर भी देखना पडा जब उन्हें फिल्मों में काम ही नहीं मिलता था। तब वह स्टेज पर कार्यक्रम पेश करके अपना जीवन यापन करने को मजबूर थे। बंबई में आयोजित एक ऐसे ही एक स्टेज कार्यक्रम के दौरान संगीतकार ओ.पी.नैय्यर ने जब उनका गाना सुना तो उन्होंने भावविह्लल होकर कहा, महान प्रतिभाए तो अक्सर जन्म लेती रहती हैं लेकिन किशोर कुमार जैसा गायक हजार वर्ष में केवल एक ही बार जन्म लेता है।उनके इस कथन का उनके साथ बैठी पार्श्वगायिका आशा भोंसले ने भी सर्मथन किया।
प्रेम
जारी वार्ता
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