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मनोरंजन-स्मिता जन्मदिन तीन अंतिम मुंबई

अस्सी के दशक में स्मिता पाटिल ने व्यावसायिक सिनेमा के साथ-साथ समानांतर सिनेमा में भी अपना सामंजस्य बिठाये रखा। इस दौरान उनकी सुबह, बाजार, भींगी पलकें, अर्थ, अर्द्धसत्य और मंडी जैसी कलात्मक फिल्में और दर्द का रिश्ता, कसम पैदा करने वाले की, आखिर क्यों, गुलामी, अमृत, नजराना और डांस-डांस जैसी व्यावसायिक फिल्में प्रदर्शित हुई जिसमें स्मिता पाटिल के अभिनय के विविध रूप दर्शकों को देखने को मिले।
वर्ष 1985 में स्मिता पाटिल की फिल्म मिर्च मसाला प्रदर्शित हुई। सौराष्ट्र की आजादी के पूर्व की पृष्ठभूमि पर बनी फिल्म मिर्च मसाला ने निर्देशक केतन मेहता को अंतराष्ट्रीय ख्याति दिलाई थी। यह फिल्म सांमतवादी व्यवस्था के बीच पिसती औरत की संघर्ष की कहानी बयां करती है। यह फिल्म आज भी स्मिता पाटिल के सशक्त अभिनय के लिए याद की जाती है।
वर्ष 1985 में भारतीय सिनेमा में उनके अमूल्य योगदान को देखते हुए वह पद्मश्री से सम्मानित की गई। हिंदी फिल्मों के अलावा स्मिता पाटिल ने मराठी, गुजराती, तेलगू, बंग्ला, कन्नड़ और मलयालम फिल्मों में भी अपनी कला का जौहर दिखाया। इसके अलावा स्मिता पाटिल को महान फिल्मकार सत्यजीत रे के साथ भी काम करने का मौका मिला। मुंशी प्रेमचंद की कहानी पर आधारित टेलीफिल्म सदगति स्मिता पाटिल अभिनीत श्रेष्ठ फिल्मों में आज भी याद की जाती है।
लगभग दो दशक तक अपने सशक्त अभिनय से दर्शकों के बीच खास पहचान बनाने वाली यह अभिनेत्री महज 31 वर्ष की उम्र में 13 दिसंबर 1986 को इस दुनिया को अलविदा कह गई। उनकी मौत के बाद वर्ष 1988 में उनकी फिल्म वारिस प्रदर्शित हुई जो स्मिता पाटिल के सिने करियर की महत्वपूर्ण फिल्मों में से एक है।
प्रेम
वार्ता
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