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मनोरंजन-मन्ना डे शास्त्रीय संगीत तीन अंतिम मुंबई

वर्ष 1961 में संगीत निर्देशक सलिल चौधरी के संगीत निर्देशन में फिल्म काबुली वाला की सफलता के बाद मन्ना डे शोहरत की बुंलदियों पर जा पहुंचे। फिल्म काबुली वाला में मन्ना डे की आवाज में प्रेम धवन रचित यह गीत ए मेरे प्यारे वतन ऐ मेरे बिछड़े चमन आज भी श्रोताओं की आंखो को नम कर देता है। प्राण के लिए उन्होंने फिल्म उपकार में कस्मे वादे प्यार वफा. और जंजीर में,यारी है ईमान मेरा यार मेरी जिंदगी जैसे गीत गाए। उसी दौर में उन्होंने फिल्म पड़ोसन में हास्य अभिनेता महमूद के लिए एक चतुर नार गीत गाया तो उन्हें महमूद की आवाज समझा जाने लगा।
आमतौर पर पहले माना जाता था कि मन्ना डे केवल शास्त्रीय गीत ही गा सकते हैं लेकिन बाद में उन्होंने ऐ मेरे प्यारे वतन, ओ मेरी जोहरा जबीं, ये रात भीगी.भीगी,ना तो कारवां की तलाश है और ए भाई जरा देख के चलो जैसे गीत गाकर अपने आलोचकों का मुंह सदा के लिए बंद कर दिया।
मन्ना डे को फिल्मों में उल्लेखनीय योगदान के लिए 1971 में पदमश्री पुरस्कार और वर्ष 2005 में पदमभूषण पुरस्कार से सम्मानित किया गया।इसके अलावा वह 1969 में फिल्म मेरे हुजूर के लिये सवश्रेष्ठ पार्श्वगायक, 1971 में बंगला फिल्म निशि पदमा के लिये सर्वश्रेष्ठ पार्श्वगायक और 1970 में प्रदर्शित फिल्म मेरा नाम जोकर के लिए फिल्म फेयर के सर्वश्रेष्ठ पार्श्वगायक पुरस्कार से सम्मानित किये गये।
मन्ना डे के संगीत के सुरीले सफर में एक नया अध्याय जुड़ गया जब फिल्मों में उनके उल्लेखनीय योगदान को देखते हुये उन्हें वर्ष 2007 में दादा साहब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित किया गया। मन्ना डे ने अपने पांच दशक के कैरियर में लगभग 3500 गीत गाये। मन्ना डे 24 अक्तूबर 2013 को इस दुनिया को अलविदा कह गये।
प्रेम
वार्ता
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