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रोहित की ‘एक डाइवोर्स ऐसा भी’ फिल्म रिलीज, सोशल मीडिया पर धूम

मुंबई 02 सितंबर(वार्ता) ऑस्कर के लिए नामित फिल्म ‘अलरिसाला ’( द मैसेज का उर्दू संस्करण) के सह लेखक एवं ‘ओ दुनिया के रखवाले सुन दर्द भरे मेरे नाले’ जैसे कई ऊंचे स्वर वाले गाना गाकर सुर्खियां बटोरने वाले बॉलीवुड गायक रोहित मिश्र की लघु फिल्म एक डाइवोर्स ऐसा भी’ सोशल मीडिया पर धूम मचा रही है।
महान पार्श्व गायक रफी साहब को गुरु के रूप में स्वीकार करने वाले रोहित ने मुकेश और किशोर कुमार के गाने भी खूब गाये हैं, लेकिन वह स्वयं को रफी साहब के काफी करीब महसूस करते हैं।उनकी आवाज रफी साहब की आवाज से हूबहू मेल खाती है। उन्होंने देशभर में संगीत के कई कार्यक्रम पेश किये हैं और ‘शैडो एक अजूबा’, ‘अलरिसाला’ और नवीनत लघु फिल्म ‘एक डाइवोर्स ऐसा भी’ में अपनी आवाज दी है।
धार्मिक ,ऐतिहासिक और फिल्मी कलाकारों के जीवन पर 80 से अधिक पुस्तकें लिखने वाले मंजे हुए लेखक ने शनिवार को ‘यूनीवार्ता’ के साथ विशेष बातचीत में कहा कि ‘एक डाइवोर्स ऐसा भी’ फिल्म आज की बदलती सामाजिक ,आर्थिक और पारिवारिक परिस्थितियों के लिए एक नया पैगाम देती है और मानवीय मूल्यों को संजोए रखने की नसीहत भी देती है।
उन्होंने कहा,“ इस फिल्म में मंजे हुए गुजराती कलाकारों ने अभिनय किया है। फिल्म की कहानी अत्यंत मार्मिक तथा प्रेरक है। मुख्य भुमिका पमीत सोनी और प्रज्ञा छेड़ा ने निभाई है। आज भ्रूण हत्या,दहेज हत्या,मासूमाें,नाबालिगों और महिलाओं के साथ दर्दिंगी की सारी हदें पार करने वाली घटनाएं मानवता को शर्मसार कर रही हैं। ऐसे में सामाजिक मूल्यों की स्थापना करने वाली फिल्मों की कमी भी कम दुखद नहीं है। फिल्मी कलाकारों को अपना आदर्श मानने वाली आज की युवा पीढ़ी को सच्चे मार्गदर्शन की जरूरत है। संयुक्त परिवार ,पति-पत्नी और अन्य पारिवारिक संबंधों को मजबूती देने वाली फिल्मों के माध्यम से फिल्म निर्माता, लेखक,अभिनेता-अभिनेत्री और अन्य कलाकार अपनी जिम्मेदारियों के साथ सही मायने में न्याय कर सकते हैं।”
संस्‍कृत और हिन्‍दी साहित्‍य को एक नई कहानी में गढ़ने वाले महान कवि आचार्य जानकी वल्लभ शास्त्री से प्रशस्ति पत्र पाने वाले रोहित ने कहा,“ यह फिल्म एक ऐसी दंपति की है जिसे तमाम उपायों के बावजूद संतान नहीं होती है। वंश को आगे बढ़ाने के लिए उन पर गहरा पारिवारिक दबाव होता है लेकिन उन्होंने जो कदम उठाया वह काबिले तारीफ है और यही वह संदेश है जिसकी आज हमारे परिवार और समाज की जरूरत है।”
फिल्मी पट कथा लेखक,गायक एवं साहित्यकार के साथ-साथ जानेमाने ज्योतिषाचार्य रोहित, दिग्गज कलाकार अनु कपूर के साथ फिल्म की एक बड़ी परियोजना पर काम कर रहे हैं। उनकी कॉमेडी फिल्म के साथ-साथ उपन्यास सम्राट प्रेमचंद पर फिल्म बनाने की योजना है।
सदी के महानायक अमिताभ बच्चन पर दो खंडों का महाकाव्य ‘महानायक अमिताभ बच्चन’ लिखने वाले और स्वयं को ‘लाइम लाइट’ से दूर रखने वाले लेखक ने कहा,“ मैंने ख्वाजा साहब पर स्क्रिप्ट लिखी है। एस अहमद के साथ मिलकर इस पर वेब सीरिज बनाने का काम हाथ में लिया है। मेरा इसमें पार्श्व गायन भी होगा। इसमें पृथ्वीराज चौहान का चरित्र जोरदार ढंग से पेश किया गया है।”
मूर्धन्य साहित्यकार डॉ.भगवती शरण मिश्र के सुपत्र ने कहा,“ मेरी महान कलाकार शम्मी कपूर के जीवन पर भी फिल्म बनाने की योजना है। इसके लिए भी अनु कपूर जी से बात हो गयी है। शम्मी जी की बात ही निराली थी। एक बार मैं एक पत्रकार की हैसियत से उनसे मिलने गया था। उनकी पत्नी लीला कपूर ने मुझे एक घंटे का समय दिया था। लेकिन शम्मी जी ने मुझसे करीब तीन घंटे तक बातें की और मेरे सभी प्रश्नों का जवाब दिया। इस दौरान उन्होंने मुझसे कहा था कि रफी साहब के जाने से वह बेहद दुखी हुए थे। उनके निधन से उन्हें ऐसा लगा कि उनकी ‘आवाज’ चली गयी। रफी जी उनकी आवाज बनकर उनमें भीतर तक उतर जाते थे। ”
संगीत और लेखन के अलवा ज्योतिष के क्षेत्र में भी कई प्रतिष्ठित पुरस्कारों से नवाजे गये रोहित ने कहा,“ शम्मी कपूर जी को बातों-बातों में पता चला कि मैं गाता भी हूं तो उन्होंने मुझसे उनकी फिल्मों से रफी जी का कोई गाना सुनाने को कहा। मैंने ‘तुम मुझे यूं भूला न पाओगे’ सुनाया तो वह बहुत खुश हुए। उन्होंने कहा,“ आप तो रफी साहब की कॉपी हो ।आपने ऐसा गाया कि मैं भूल ही गया कि मैं रफी जी को नहीं आपको सुन रहा हूं।आपकी आवाज़ और स्टाइल रफ़ी साहब जैसी ही है। मैं बहुत हैरान हूँ और आपकी बड़ी सफलता की कामना करता हूँ।” कुछ ऐसा ही कहना संगीत निर्देशक रवि साहब का था ,जब मैंने उन्हें ‘ओ नन्हे से फ़रिश्ते’ उनको सुनाया था।”
उन्होंने कहा कि महान अभिनेत्री एवं नेता हेमा मालिनी से भी जब कभी भी उनकी मुलाकात होती है, तो वह बहुत ही श्रद्धा एवं सम्मान से मिलती हैं। रोहित ने कहा,“ हेमा जी ने मेरे साथ एक साक्षात्कार में फिल्मी दुनिया से राजनीति में कदम रखने के सफर में विस्तार से बताया था। उन्होंने यह भी बताया था कि किस तरह नृत्य को एक कला के रूप में ही नहीं लेती बल्कि वह मानती हैं कि यह उनकी ऑक्सीजन के साथ-साथ उनका ईश्वर भी है।
आशा,संतोष
वार्ता
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