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बाबरी ढांचे के विध्वंस के बाद बदल गया मुबंई का चरित्र

मुबंई 04 दिसंबर (वार्ता) मुंबई को 'देश में अर्ब्स प्राइमा' माना जाता है , और सही भी है। हालांकि, 06 दिसंबर, 1992 को अयोध्या में बाबरी ढांचे के विध्वंस और दिसंबर 1992 -जनवरी 1993 के सांप्रदायिक दंगों के बाद, देश की वित्तीय राजधानी के चरित्र को बदल दिया।
दिग्गज टीवी पत्रकार और लेखक जितेंद्र दीक्षित ने अपनी किताब 'बॉम्बे आफ्टर अयोध्या: ए सिटी इन फ्लक्स' में एक बार फिर शहर पर एक अनूठी टिप्पणी लेकर आए हैं जो पहले कभी नहीं लिखी गई।
श्री दीक्षित की यह किताब पिछले तीन दशकों की मुंबई की कहानी कहती है और उनके बढ़ते वर्षों और एक पत्रकार के रूप में उनके करियर की कहानी भी है।
उन्होंने कहा “मैं उन लेखकों से इस पुस्तक को लिखने के लिए प्रेरित हुआ, जिन्होंने 1990 के दशक में कश्मीर में बंदूक संस्कृति के आगमन को देखा और इसके परिणामस्वरूप घाटी कैसे बदल गई, इसके बारे में लिखा। मैं कश्मीर और मुंबई के बीच समानताएं देखता हूं। 1990 का दशक दोनों के लिए उथल-पुथल भरा था और मैं सांप्रदायिक दंगों, गैंगवार और आतंकवादी हमलों के परिणामस्वरूप मुंबई की सड़कों पर खून-खराबा देखते हुए बड़ा हुआ हूं। मेरे विचार से, अयोध्या में बाबरी मस्जिद के विध्वंस से शुरू हुई घटनाओं ने मुंबई को बदल दिया है।”
उन्होंने कहा कि लगभग उसी समय बॉम्बे से मुंबई के परिवर्तन ने भी गति पकड़ी और शहर ने मिलों से मॉल का परिवर्तन देखा।
चालीस वर्षीय श्री दीक्षित एक प्रमुख समाचार चैनल के वेस्ट इंडिया संपादक ने कहा “इस परिवर्तन ने शहर के हर पहलू को प्रभावित किया है, जिसमें इसकी राजनीति, अंडरवर्ल्ड, पुलिस, सामाजिक ताने-बाने, रियल एस्टेट आदि शामिल हैं। मैंने एक निवासी और एक पत्रकार के रूप में इस परिवर्तन को प्रत्यक्ष देखा है और यह पुस्तक इसे दस्तावेज करने का मेरा प्रयास है।
उन्होंने कहा कि मुंबई दंगों की दो लहरों के बाद 12 मार्च 1993 के सिलसिलेवार बम धमाकों ने मुंबई की आत्मा को झकझोर कर रख दिया और उसके बाद गैंगवार हुईं और 2005 की 26 जुलाई की जलप्रलय, 2006 के ट्रेन विस्फोटों और प्राकृतिक आपदाओं की चपेट में आ गईं तथा मुंबई में 26/11 को फिदायीन हमला हुआ।
उन्होंने कहा कि बॉम्बे आफ्टर अयोध्या न केवल यह बताता है कि तत्काल बाद क्या हुआ, बल्कि यह भी बताता है कि कैसे इस घटना ने शहर के चरित्र में मूलभूत परिवर्तन किए। यह तीन दशकों का दस्तावेज है।
जांगिड़ अशोक
वार्ता
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