Wednesday, Apr 24 2024 | Time 06:08 Hrs(IST)
image
राज्य » गुजरात / महाराष्ट्र


ग्रामीण भारत में विशेषज्ञ डाक्टरों की कमी : पुराेहित

पुणे 13 जनवरी (वार्ता) अस्पताल प्रशासन संघ के कार्यकारी सदस्य डॉ. नरेश पुरोहित ने कहा कि देश के ग्रामीण इलाकों में हजारों सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों (सीएचसी) में सर्जन, बाल रोग विशेषज्ञ, प्रसूति विशेषज्ञ और स्त्री रोग विशेषज्ञ जैसे विशेषज्ञ डॉक्टरों की 68 प्रतिशत कमी रहा है।
डा़ॅ पुरोहित ने इस मुद्दे पर अपनी चिंता व्यक्त करते सिम्बायोसिस मेडिकल कॉलेज फॉर वुमेन द्वारा आयोजित एक वेबिनार को संबोधित करने के बाद यहां यूनीवार्ता को बताया कि कॉर्पोरेट अस्पतालों में डॉक्टरों के कारण कई राज्यों में विशेषज्ञों की कमी एक वास्तविक समस्या है।
उन्होंने कहा कि केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की हालिया रिपोर्ट के अनुसार ग्रामीण स्वास्थ्य सांख्यिकी 2021- 2022 में देश में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में डॉक्टरों की स्वीकृत संख्या 39,669 के मुकाबले 776 डॉक्टरों की कमी है। उन्होंने कहा कि 10,949 आयुष डॉक्टरों की स्वीकृत संख्या के मुकाबले 2,917 आयुष डॉक्टरों के पद खाली हैं।
उन्होंने कहा कि रिपोर्ट में बताया गया है कि ग्रामीण क्षेत्रों के सीएचसी में 4,068 प्रसूति और स्त्री रोग विशेषज्ञों की कमी है जबकि ग्रामीण क्षेत्र सीएचसी में 4,335 चिकित्सकों की कमी है। राष्ट्रीय स्तर पर चिकित्सकों की कुल कमी मुख्य रूप से उत्तर प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, गुजरात, उत्तराखंड, ओडिशा और त्रिपुरा में कर्मचारियों की कमी के कारण है।
वेबिनार में विशेषज्ञों ने कहा कि सरकार के लिए ग्रामीण सीएचसी में प्राथमिक देखभाल की प्राथमिकता नहीं है। साथ ही विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) या यूनीसेफ जैसी एजेंसियों से शायद ही कोई सहयोग मिलता है। लेकिन अगर स्वास्थ्य मंत्रालय और सरकार गंभीर है, तो सीएचसी सुधार के मॉडल हैं। विशेषज्ञों ने देखा कि सरकार ने सीएचसी में पर्याप्त संसाधनों और गांवों में विशेषज्ञों को लुभाने और बनाए रखने के लिए नए तरीकों की तलाश नहीं की।
उन्होंने कहा कि जो छात्र निजी मेडिकल कॉलेजों में कैपिटेशन फीस का भुगतान करते हैं, वे छात्र सरकारी सेवा में शामिल नहीं होंगे और पैसे कमाने के तरीकों की तलाश करेंगे।
जांगिड़ अशोक
वार्ता
image