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मनोरंजन-जावेद जन्मदिन दो अंतिम मुंबई

फिल्म “अंदाज” की सफलता के बाद जावेद अख्तर और सलीम खान को कई अच्छी फिल्मों के प्रस्ताव मिलने शुरू हो गये।इन फिल्मों में “हाथी मेरे साथी, सीता और गीता, जंजीर, यादों की बारात” जैसी फिल्में शामिल है। सीता और गीता के निर्माण के दौरान उनकी मुलाकात “हनी ईरानी” से हुयी और जल्द हीं जावेद अख्तर ने हनी ईरानी से निकाह कर लिया। अस्सी के दशक में जावेद अख्तर ने हनी इरानी से तलाक लेने के बाद शबाना आजमी से शादी कर ली।
वर्ष 1981 में निर्माता-निर्देशक यश चोपड़ा अपनी नई फिल्म सिलसिला के लिये गीतकार की तलाश कर रहे थे।उन दिनों फिल्म जगत में जावेद अख्तर बतौर संवाद लेखक अपनी पहचान बना चुके थे। यश चोपड़ा ने जावेद अख्तर से फिल्म सिलसिला के गीत लिखने की पेशकश की।फिल्म “सिलसिला” मेें जावेद अख्तर के गीत “देखा एक ख्वाब तो सिलसिले हुये और ये कहां आ गये हम..” श्रोताओं के बीच काफी लोकप्रिय हुये।फिल्म सिलसिला में अपने गीत की सफलता से उत्साहित जावेद अख्तर ने गीतकार के रूप में भी काम करना शुरू किया। इसके बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा।उन्होंने एक से बढ़कर एक गीत लिखकर जन जन के हृदय के तार झनझनाये।
वर्ष 1987 में प्रदर्शित फिल्म मिस्टर इंडिया के बाद सलीम-जावेद की सुपरहिट जोड़ी अलग हो गयी।इसके बाद भी जावेद अख्तर ने फिल्मों के लिये संवाद लिखने का काम जारी रखा। जावेद अख्तर को मिले सम्मानों को देखा जाये तो उन्हे उनके गीतों के लिये आठ बार पिल्म फेयर पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। वर्ष 1999 मे साहित्य के जगत मे जावेद अख्तर के बहुमूल्य योगदान को देखते हुये उन्हें पद्मश्री से नवाजा गया। वर्ष 2007 में उनको पद्म भूषण सम्मान से नवाजा गया। उनको उनके गीत के लिये साज, बार्डर, गॉडमदर, रिफ्यूजी और लगान के लिये नेशनल अवार्ड से भी सम्मानित किया गया।जावेद अख्तर आज भी गीतकार के तौर पर फिल्म जगत को सुशोभित कर रहे है।
प्रेम
वार्ता
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