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‘महाराष्ट्र में निवेश के लिए दावोस में एमओयू पर हस्ताक्षर का हुआ पर्दाफाश’

मुंबई 20 जनवरी (वार्ता) महाराष्ट्र प्रदेश कांग्रेस समिति (एमपीसीसी) के मुख्य प्रवक्ता अतुल लोंढे ने शुक्रवार को कहा कि शिंदे सरकार की ओर से महाराष्ट्र की कंपनियों के साथ तीन समझौता ज्ञापनों (एमओयू) पर हस्ताक्षर करने के झूठे दावा करने का पर्दाफाश हो गया है।
श्री लोंढे ने कहा कि मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और उद्योग मंत्री उदय सामंत ने दावा किया है कि महाराष्ट्र में निवेश लाने के लिए दावोस में 1.37 लाख करोड़ रुपये के समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए हैं, लेकिन इनमें से कुछ कंपनियां पहले से ही महाराष्ट्र में हैं और सवाल पूछा जा रहा है कि दावोस जाकर उन्हें महाराष्ट्र में निवेश करने के लिए कहने की जरूरत क्यों पड़ी।
उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र में निवेश के लिए दावोस में विश्व आर्थिक मंच में हुए एमओयू में शामिल कंपनियों में से तीन कंपनिया महाराष्ट्र के औरंगाबाद, जालना और चंद्रपुर जिलों में पहले से ही है और ऐसी कंपनियों की संख्या ज्यादा हो सकती है।
उन्होंने कहा कि न्यू एरा क्लीनटेक सॉल्यूशंस कंपनी औरंगाबाद की है। वहीं फेरा एलॉय प्रा. लिमिटेड जालना की है, जबकि राजुरी स्टील एंड एलॉय इंडिया चंद्रपुर की है। इन कंपनियों को अमेरिका, इंग्लैंड व इजरायल में दिखाया गया है। उन्होंने कहा कि इस बारे में मीडिया में खबरें प्रकाशित हुई हैं।
उन्होंने कहा कि मीडिया रिपोर्ट में दिखाया गया है कि अमेरिका की न्यू एरा क्लीनटेक सॉल्यूशंस कंपनी ने भद्रावती में 20,000 करोड़ रुपये की कोयला गैसीकरण परियोजना स्थापित करने के लिए एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं। क्या यहां मुंबई में एमओयू साइन करने में कोई दिक्कत हुई।
उन्होंने कहा कि शिंदे-फडनवीस सरकार ने 1.58 लाख करोड़ रुपये के वेदांत-फॉक्सकॉन परियोजना को तालेगांव के पास लॉन्च हुई करने और एक लाख नौकरियां गुजरात जाने की अनुमति दी। उन्होंने कहा कि अन्य परियोजनाओं जैसे नागपुर के मिहान में 22,000 करोड़ रुपये की टाटा एयर बस परियोजना, रायगढ़ जिले में 3,000 करोड़ रुपये की बल्क ड्रग्स परियोजना, और लगभग 2.50 लाख करोड़ रुपये के निवेश और लाखों नौकरियों को महाराष्ट्र से बाहर जाने की अनुमति दी गई।
संतोष.संजय
वार्ता
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