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‘द केरला स्टोरी’ ने समाज को जागृत किया : सुदीप्तो

पुणे, 20 मई (वार्ता) फिल्म 'द केरला स्टोरी' के निर्देशक सुदीप्तो सेन ने सिनेमा को सामाजिक परिवर्तन का एक अत्यंत शक्तिशाली माध्यम बताते हुए कहा है कि उनकी फिल्म ने 'समाज को जगाया' है।
श्री सेन ने शनिवार को कर्वे नगर में महर्षि कर्वे स्त्री शिक्षण संस्थान (एमकेएसएसएस) के परिसर में स्कूल ऑफ मीडिया एक्टिविटी रिसर्च एंड टेक्नोलॉजी (एसएमएआरटी) में एक विशेष प्रिव्यू थिएटर 'स्मार्ट टॉकीज' का उद्घाटन किया। स्मार्ट मीडिया और मनोरंजन में एक डिग्री प्रोग्राम बी.वोक आयोजित करता है, जो सावित्रीबाई फुले पुणे विश्वविद्यालय से संबद्ध है।
इस मौके पर उन्होंने कहा, “पिछले 15 दिनों में, हमारी फिल्म (‘द केरल स्टोरी’) ने पूरी सभ्यता, समकालीन पीढ़ी को जगाया है। लोग हमारी फिल्म पर चर्चा कर रहे हैं और कला के रूप में मनोरंजन और सिनेमा भी यही है। इस विषय को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है लिहाजा फिल्म को भारत और विदेशों में 1.5-2 करोड़ लोगों ने देखा है।
इस अवसर पर 'द केरला स्टोरी' के निर्माता विपुल शाह और मुख्य अभिनेत्री अदा शर्मा, एमकेएसएसएस के अध्यक्ष रवींद्र देव, एमकेएसएसएस के सचिव डॉ. पीवीएस शास्त्री, एमकेएसएसएस के ट्रस्टी मिलिंद लेले, स्मार्ट की निदेशक प्रोफेसर राधिका इंगले और समन्वयक, स्मार्ट प्रोफेसर देवदत्त भिंगारकर, उपस्थित रहे।
'स्मार्ट टॉकीज' 32 सीटों वाला अत्याधुनिक सुविधा वाला थियेटर है, जिससे छात्राओं को सुविधा मिलेगी। स्मार्ट पुणे का एकमात्र मीडिया संस्थान है जिसके पास ऐसी इन-हाउस सुविधा है।
श्री सेन ने संस्थान की लड़कियों से फिल्म के लिए ब्रांड एंबेसडर के रूप में काम करने और इस संवेदनशील मुद्दे के बारे में जागरूकता फैलाने में मदद करने की अपील की।
श्री सेन ने यूरोपीय पुनर्जागरण और रूसी क्रांति का उदाहरण देते हुये कहा, “सिनेमा भी सामाजिक परिवर्तन के लिए एक अत्यंत शक्तिशाली उपकरण रहा है। कला के किसी भी रूप में समाज, दुनिया को बदलने की क्षमता होती है।'
श्री सेन ने एक घटना सुनाई जिसने उन्हें 'द केरल स्टोरी' बनाने के लिए प्रेरित किया। “2014 में एक घटना हुई थी, जिससे मैं भावनात्मक रूप से जुड़ा हुआ था। मैं केरल में था और मुझे 19 साल की एक लड़की के बारे में पता चला, जो धर्मान्तरण की शिकार थी। हालांकि शादी के बाद वह समझ गई थी कि उसे सीरिया भेजा जाना है। वह वापस लौटी और वापस अपने धर्म में आ गई। लेकिन वह भावनात्मक रूप से परेशान थी और जब उसके माता-पिता ने उसे कासरगोड जिले में अपने गांव ले जाने का फैसला किया, तो उसका घर जला दिया गया था,।”
उन्होंने कहा “मैं बाद में लड़कियों से मिला और उनकी कहानियों के बारे में जाना। जब मैंने इस घटना के बारे में विपुल शाह को बताया तो उन्होंने कहा कि हमें इस पर फिल्म बनानी चाहिए। मैंने महसूस किया कि यह एक अंतरराष्ट्रीय मुद्दा है।”
सैनी अशोक
वार्ता
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