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मनोरंजन-पृथ्वीराज दमदार अभिनय दो अंतिम मुंबई

वर्ष 1944 में पृथ्वीराज कपूर ने अपनी खुद की थियेटर कंपनी ..पृथ्वी थियेटर .. शुरू की। पृथ्वी थियेटर मे उन्होंने आधुनिक और शहरी विचारधारा का इस्तेमाल किया जो उस समय के फारसी और परंपरागत थियेटरों से काफी अलग था। धीरे-धीरे दर्शको का ध्यान थियेटर की ओर से हट गया क्योंकि उन दिनों दर्शकों पर रूपहले पर्दे का क्रेज ज्यादा ही हावी था। सोलह वर्ष में पृथ्वी थियेटर के 2662 शो हुये जिनमें पृथ्वीराज ने लगभग सभी में मुख्य किरदार निभाया। पृथ्वी थियेटर के प्रति वह इस कदर समर्पित थे कि तबीयत खराब होने के बावजूद भी वह हर शो मे हिस्सा लिया करते थे। शो एक दिन के अंतराल पर नियमित रूप से होता था।
पृथ्वी थियेटर के बहुचर्चित नाटकों में दीवार, पठान गद्दार और पैसा शामिल है। पृथ्वीराज कपूर ने अपने थियेटर के जरिए कई छुपी प्रतिभाओं को आगे बढ़ने का मौका दिया। जिनमें रामानंद सागर और शंकर जयकिशन जैसे बड़े नाम शामिल है। साठ का दशक आते आते पृथ्वीराज कपूर ने फिल्मों में काम करना काफी कम कर दिया। वर्ष 1960 में प्रदर्शित के. आसिफ की मुगले आजम मे उनके सामने अभिनय सम्राट दिलीप कुमार थे। इसके बावजूद पृथ्वीराज कपूर अपने दमदार अभिनय से दर्शकों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करने में सफल रहे।
वर्ष 1965 में प्रदर्शित फिल्म ..आसमान महल.. में पृथ्वीराज कपूर ने अपने सिने कैरियर की एक और न भूलने वाली भूमिका निभायी। वर्ष 1968 में प्रदर्शित फिल्म तीन बहुरानियां मे पृथ्वीराज कपूर ने परिवार के मुखिया की भूमिका निभायी जो अपनी बहुरानियों को सच्चाई की राह पर चलने के लिये प्रेरित करता है।इसके साथ ही अपने पौत्र रणधीर कपूर की फिल्म ..कल आज और कल .. में भी पृथ्वीराज कपूर ने यादगार भूमिका निभायी। वर्ष 1969 में पृथ्वीराज कपूर ने एक पंजाबी फिल्म ..नानक नाम जहां है.. में भी अभिनय किया।
फिल्म की सफलता ने लगभग गुमनामी में आ चुके पंजाबी फिल्म इंडस्ट्री को एक नया जीवन दिया।फिल्म इंडस्ट्री में उनके महत्वपूर्ण योगदान को देखते हुये उन्हें 1969 में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया। फिल्म इंडस्ट्री के सर्वोच्च सम्मान दादा साहब फाल्के से भी उन्हें सम्मानित किया गया।इस महान अभिनेता ने 29 मई 1972 को दुनिया को अलविदा कह दिया।
प्रेम
वार्ता
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