राज्य » गुजरात / महाराष्ट्रPosted at: Jul 20 2024 1:43PM आवाज की कशिश से गीता दत्त ने श्रोताओ को मंत्रमुग्ध कियापुण्यतिथि 20 जुलाई के अवसर परमुंबई, 20 जुलाई (वार्ता) हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में गीता दत्त का नाम एक ऐसी पार्श्वगायिका के तौर पर याद किया जाता है, जिन्होंने अपनी आवाज की कशिश से श्रोताओं को मदहोश किया। 23 नवंबर 1930 में फरीदपुर शहर में जन्मीं गीता दत्त महज 12 वर्ष की थी तब उनका पूरा परिवार फरीदपुर .अब बंगलादेश में .से मुंबई आ गया।उनके पिता जमींदार थे । बचपन के दिनों से ही गीता दत्त का रूझान संगीत की ओर था और वह पार्श्वगायिका बनना चाहती थी। गीता दत्त ने संगीत की प्रारंभिक शिक्षा हनुमान प्रसाद से हासिल की। गीता दत्त को सबसे पहले वर्ष 1946 में फिल्म ..भक्त प्रहलाद .. के लिये गाने का मौका मिला। उन्होंने कश्मीर की कली , रसीली , सर्कस किंग जैसी कुछ फिल्मो के लिये भी गीत गाये, लेकिन इनमें से कोई भी बॉक्स ऑफिस पर सफल नहीं हुयी।इस बीच गीता दत्त की मुलाकात संगीतकार एस.डी.बर्मन से हुयी। बर्मन साहब को गीता के रूप में फिल्म इंडस्ट्री का उभरता हुआ सितारा दिखाई दिया और उन्होंने गीता दत्त से अपनी अगली फिल्म ..दो भाई .. के लिये गाने की पेशकश की। वर्ष 1947 में प्रदर्शित फिल्म .. दो भाई.. गीता दत्त के सिने कैरियर की अहम फिल्म साबित हुयी और इस फिल्म में उनका गाया यह गीत .. मेरा सुंदर सपना बीत गया .. लोगों के बीच काफी लोकप्रिय हुआ। फिल्म की कामयाबी के बाद बतौर पार्श्वगायिका गीता दत्त अपनी पहचान बनाने में सफल हो गयी। वर्ष 1951 गीता दत्त के सिने कैरियर के साथ ही व्यक्तिगत जीवन में भी एक नया मोड़ लेकर आया। फिल्म ..बाजी .. के निर्माण के दौरान उनकी मुलाकात निर्देशक गुरूदत्त से हुयी। फिल्म के एक गाने..तदबीर से बिगड़ी हुयी तकदीर बना ले .. की रिकार्डिंग के दौरान गीता को देख गुरू दत्त मोहित हो गये। गीता दत्त भी गुरूदत्त से प्यार करने लगी और वर्ष 1953 में दोनों ने शादी कर ली। इसके साथ ही फिल्म ..बाजी .. की सफलता ने गीता दत्त की तकदीर बना दी और बतौर पार्श्वगायिका वह फिल्म इंडस्ट्री में स्थापित हो गयी। वर्ष 1956 गीता दत्त के सिने कैरियर में एक अहम पड़ाव लेकर आया। फिल्म हावड़ा ब्रिज के संगीत निर्देशन के दौरान ओ.पी.नैयर ने एक ऐसी धुन तैयार की थी जो सधी हुयी गायिकाओं के लिये भी काफी कठिन थी। जब उन्होने गीता दत्त को ..मेरा नाम चिन चिन चु .. गाने को कहा तो उन्हे लगा कि वह इस तरह के पाश्चात्य संगीत के साथ तालमेल नहीं बिठा पायेंगी। गीता दत्त ने इसे एक चुनौती की तरह लिया जब उन्होंने इस गीत को गाया तो उन्हें भी इस बात का सुखद अहसास हुआ कि वह इस तरह के गाने गा सकती है।प्रेमजारी वार्ता