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एआई की समझ समय के साथ धीरे-धीरे विकसित हो रही है : शेखर कपूर

पणजी, 25 नवंबर (वार्ता) बॉलीवुड के जानेमाने फिल्मकार शेखर कपूर का कहना है कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) की समझ समय के साथ धीरे-धीरे विकसित हो रही है।
पणजी में भारत के 55वें अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव (आईएफएफआई) में कला अकादमी में आज "विल आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस ऑल्टर फिल्म मेकिंग फॉरऐवर?" शीर्षक से एक औपचारिक चर्चा आयोजित की गई। इस प्रतिष्ठित पैनल में भारतीय फिल्म निर्माता और उद्यमी आनंद गांधी, ओपनएआई में सार्वजनिक नीति और भागीदारी की प्रमुख प्रज्ञा मिश्रा शामिल थीं और इसका संचालन प्रसिद्ध फिल्म निर्माता शेखर कपूर ने किया।
सत्र की शुरुआत शेखर कपूर के उद्घाटन भाषण से हुई, जिसमें उन्होंने माना कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) की समझ समय के साथ धीरे-धीरे विकसित हो रही है। उन्होंने कहा,"कोई नहीं जानता कि एआई क्या है, हम अभी भी मशीन लर्निंग, डीप लर्निंग जैसे विभिन्न एआई शब्दों की खोज करने की प्रक्रिया में हैं। उन्होंने एआई द्वारा नौकरियों की जगह लेने की संभावनाओं के बारे में चल रही बहस को कुशलता से संभाला और अपनी घरेलू नौकरानी के बारे में एक दिलचस्प व्यक्तिगत अनुभव साझा किया, जो 'मिस्टर इंडिया' की कहानी को आगे बढ़ाने के लिए स्क्रिप्ट तैयार करने में सक्षम थी और जिसने उन्हें प्रभावित किया। उन्होंने स्थिति की तुलना ट्रैक्टरों के आगमन से की, जिनके बारे में शुरू में सोचा गया था कि वे किसानों की जगह लेंगे, लेकिन वास्तव में, प्रौद्योगिकी को मानव क्षमता को बढ़ाने के उपकरण के रूप में देखा जाना चाहिए, ठीक उसी तरह जैसे डिजिटल क्रांति में भुगतान के लिए यूपीआई को व्यापक रूप से अपनाया गया है।
प्रज्ञा मिश्रा ने एसओआरए का प्रदर्शन किया, जो एक एआई-संचालित टेक्स्ट-टू-वीडियो मॉडल है जो उपयोगकर्ताओं को टैक्चुअल प्रोम्ट्स (विशिष्ट शब्द या वाक्य जो मानव जैसी प्रतिक्रिया देने के लिए एआई भाषा मॉडल को प्रदान किए जाते हैं) से वीडियो बनाने की अनुमति देता है। उन्होंने बताया कि सरल निर्देशों के साथ, एसओआरए अत्यधिक यथार्थवादी वीडियो बना सकता है, जो मानवीय अभिव्यक्तियों और सांस्कृतिक बारीकियों के जटिल विवरणों की नकल करता है। उन्होंने टूल से जुड़े नैतिक विचारों पर भी बात की, उन्होंने कहा कि गलत सूचना, अभद्र भाषा और जातीय भेदभाव जैसे मुद्दों को रोकने के लिए मॉडल में सार्वजनिक हस्तियों के चेहरे प्रतिबंधित हैं। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि एआई रचनात्मक क्षमता को उजागर कर सकता है और मानवता के लिए एक शक्तिशाली उपकरण बन सकता है, जिससे वैश्विक स्तर पर रचनाकारों और उपयोगकर्ताओं को लाभ होगा।
फिल्म निर्माण में एआई की बढ़ती भूमिका के बारे में पूछे जाने पर, आनंद गांधी ने इस बात पर प्रकाश डाला कि एआई जल्द ही फिल्म निर्माण प्रक्रिया का एक अभिन्न अंग बन जाएगा। उन्होंने जोर देकर कहा कि एआई न केवल सहायता करेगा बल्कि फिल्म निर्माण में सह-लेखक के रूप में सक्रिय रूप से भाग लेगा।
सत्र का समापन सकारात्मक रूप से हुआ, जिसमें पैनल ने इस बात पर सहमति व्यक्त की कि यद्यपि एआई फिल्म निर्माण को महत्वपूर्ण रूप से बढ़ा सकता है, लेकिन यह कभी भी मानव मस्तिष्क की रचनात्मक क्षमता का स्थान नहीं ले सकेगा।
प्रेम.संजय
वार्ता
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