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भारतीय सिने जगत के पहले ‘महानायक’ थे कुंदन लाल सहगल

पुण्यतिथि 18 जनवरी के अवसर पर
मुंबई,18 जनवरी (वार्ता)भारतीय सिने जगत के पहले ‘महानायक’ का दर्जा प्राप्त करने वाले कुंदन लाल सहगल (के. एल. सहगल) ने अपने दो दशक के लंबे कॅरियर में महज 185 गीत ही गाए जिनमें 142 फिल्मी और 43 गैर फिल्मी शामिल हैं, लेकिन उन्हें जितनी ख्याति प्राप्त हुयी उतनी हजारों की संख्या में गीत गाने वाले गायकों को नसीब नहीं होती।
वर्ष 1904 को जम्मू के नवाशहर में रियासत के तहसीलदार अमर चंद सहगल के घर जब कुंदन का जन्म हुआ तो पिता ने यह कभी नही सोचा होगा कि उनका पुत्र अपने नाम को सार्थक करते हुए वाकई एक दिन.कुंदन. की तरह ही चमकेगा। कुंदन दरअसल स्वर्ण का शुद्धतम रूप होता है।सामान्य तौर पर स्वर्ण को कई बार गलाने-तपाने पर जो धातु बनता है उसे ..कुंदन ..कहा जाता है जिसकी आभा कभी कम नही होती। यही बात कुंदन लाल सहगल पर चरितार्थ होती है ।
बचपन के दिनों से हीं सहगला का रूझान गीत-संगीत की ओर था। उनकी मां केसरीबाई कौर धार्मिक कार्यकलापों के साथ साथ संगीत में भी काफी रूचि रखती थीं। सहगल अक्सर मां के साथ भजन, कीर्तन जैसे धार्मिक कार्यक्रमों में जाया करते थे और अपने शहर में रामलीला के कार्यक्रमों में भी हिस्सा लिया करते थे। सहगल ने किसी उस्ताद से संगीत की शिक्षा नहीं ली थी लेकिन सबसे पहले उन्होंने संगीत के गुर एक सूफी संत सलमान यूसुफ से सीखे थे।
बचपन से ही सहगल को संगीत की गहरी समझ थी और एक बार सुने हुये गानों के लय को वह बारीकी से पकड़ लेते थे। उनकी प्रारंभिक शिक्षा बहुत ही साधारण तरीके से हुई थी। उन्हें अपनी पढ़ाई बीच में ही छोड़ देनी पड़ी और जीवन यापन के लिये रेलवे में टाईमकीपर की मामूली नौकरी की थी। बाद मे उन्होंने रेमिंगटन नामक टाइपराइंटिग मशीन की कंपनी में सेल्समैन की नौकरी भी की।
प्रेम
जारी वार्ता
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